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बिजली समझौते रद्द करने के संबंध में झूठ बोल रहे हैं मुख्यमंत्री चन्नी : हरपाल सिंह चीमा

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि चन्नी सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही बिजली समझौते रद्द करने की घोषणा की थी.

Updated on: 20 Nov 2021, 06:42 PM

highlights

  • बिजली समझौते रद्द करने के संबंध में `आप' ने सिद्धू से भी मांगा स्पष्टीकरण
  • सस्ती रेत के संबंध में भी धरातल पर खोखली साबित हो रही है चन्नी की घोषणा 
  • ताजा बिजली बिलों में भी लोगों को कोई राहत दिखाई नहीं देती

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ एवं नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर झूठ बोलने के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गप मारने में चन्नी अकाली दल (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को भी पीछे छोड़ गए हैं। हरपाल सिंह चीमा की दलील है कि प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ बादल सरकार द्वारा किए गए घातक और महंगे बिजली खरीद समझौते (पीपीए) रद्द किए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा न सिर्फ कोरा झूठ बोला जा रहा है, बल्कि इस झूठे प्रचार पर सरकारी खजाने में से करोड़ों रुपये खर्च करके अपनी खोखली मशहूरी भी की जा रही है.

पार्टी मुख्यालय से शनिवार को जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री चन्नी को चुनौती देते हुए कहा कि वह पंजाब की जनता को बिजली समझौते रद्द किए जाने के संबंध में एक भी दस्तावेज या नोटिफिकेशन दिखाकर साबित करें कि उनके द्वारा पंजाब भर में होर्डिंगों-बोर्डों पर बिजली समझौते रद्द होने के संबंध में दिए इश्तेहार सही हैं?

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बिजली समझौते रद्द किए बिना ही रद्द करने के दावे करना न केवल धोखा बल्कि सजायाफ्ता अपराध है. चीमा ने चन्नी सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जनता के पैसे से सरकार द्वारा किया जा रहा यह झूठा प्रचार तुरंत बंद नहीं किया तो पार्टी झूठी चन्नी सरकार के झूठे और गुमराह करने वाले प्रचार के संबंध में जागरूकता मुहिम शुरू करेगी. चीमा ने आगे कहा कि जरूरत पड़ी तो सरकार को ऐसे झूठे प्रचार के खिलाफ अदालत में भी खींचा जा सकता है.

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि चन्नी सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही बिजली समझौते रद्द करने की घोषणा की थी और इसके लिए विधानसभा का सत्र बुलाए जाने का दावा भी किया था. लेकिन सरकार विधानसभा का सत्र बुलाने से लगातार पल्ला झाड़ रही है. आखिरकार 2 महीने बाद जब विधानसभा की संवैधानिक खानापूर्ति के लिए दो दिवसीय सत्र बुलाया गया तो चन्नी सरकार घातक बिजली समझौतों को रद्द करने से मुकर गई. लेकिन चुनाव के मद्देनजर बिजली समझौतों की दरों में फेरबदल किए जाने का `ड्रामा' जरूर किया गया, जिसका पीपीए रद्द किए जाने के तौर पर प्रचार किया जा रहा है, जो नैतिक और व्यवहारिक तौर पर गलत है. हरपाल सिंह चीमा ने समझौते रद्द किए जाने के संबंध में चन्नी सरकार के दावों पर सत्ताधारी कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से भी स्पष्टीकरण मांगा है.

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जितनी देर निजी थर्मल प्लांटों के साथ किए घातक महंगे और एकतरफा समझौते सिरे से रद्द करके नए सिरे से सस्ते और पंजाब पक्षीय समझौते नहीं किए जाएंगे, उतनी देर पंजाब की जनता और खजाने को बिजली माफिया से राहत संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि बिजली माफिया के खिलाफ `आप' की लंबी जद्दोजहद पंजाब के लोगों में बड़ी स्तर पर जागृति लाई है, जिस कारण सत्ताधारी कांग्रेस को लोगों के महंगे बिजली बिलों और अरविंद केजरीवाल द्वारा दी गई बिजली गारंटी के संबंध में सवालों के जवाब देने मुश्किल हो गए हैं, जिनसे बचने के लिए चन्नी सरकार पूरे देश से सस्ती बिजली और बिजली समझौते रद्द होने के संबंध में झूठे प्रचार का सहारा ले रही है. लेकिन पंजाब के लोग इस झूठे प्रचार से सजग हैं, क्योंकि ताजा बिजली बिलों में भी लोगों को कोई राहत दिखाई नहीं देती.

चीमा ने दावा किया कि सस्ती बिजली 24 घंटे और प्रति महीना 300 यूनिट बिजली मुफ्त की गारंटी केवल अरविंद केजरीवाल ही दे सकते हैं, क्योंकि उन्होंने (केजरीवाल) ने ऐसा मॉडल दिल्ली में लागू करके दिखाया है.