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CM Mann Photograph: (NN)
Chandigarh: पंजाबियों की आस्था और गुरुओं से जुड़ी श्रद्धा को केंद्र सरकार जानबूझकर सियासी नजर से देख रही है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र पर सवाल किया है कि जहां भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को हरी झंडी दी जाती है, वहीं श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर और श्री ननकाना साहिब के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की राह रोक दी जाती है. मान ने सवाल उठाया कि क्या क्रिकेट का आयोजन राजनीति से परे है और धार्मिक स्थलों की यात्रा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है?
क्रिकेट को मंजूरी, श्रद्धा पर रोक?
मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच को राष्ट्रभक्ति का उत्सव बताया जाता है, जबकि श्रद्धालुओं की आस्था के रास्ते बंद कर दिए जाते हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों की मौजूदगी के कारण उन्हें रोक दिया जाता है, मगर क्रिकेट लाइव प्रसारित होता है. मान ने पूछा कि क्या वित्तीय लाभ श्रद्धा से बड़ा हो गया है? प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते' पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अगर यही सिद्धांत है तो फिर खेल के मैदान क्यों खुले हैं और दर्शन के द्वार क्यों बंद?
बाढ़ राहत और केंद्र की भूमिका पर सवाल
मान सरकार ने केंद्र की राहत नीतियों पर भी सवाल खड़े किए. मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में आई बाढ़ के दौरान केंद्र ने सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जबकि राज्य सरकार ने 2300 गांवों में सफाई और मेडिकल टीम भेजकर जमीनी स्तर पर राहत पहुंचाई. उन्होंने दावा किया कि केंद्र द्वारा घोषित ₹1600 करोड़ की मदद अब तक पंजाब को प्राप्त नहीं हुई है.
बताया राजनीतिक प्रतिशोध
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार पंजाब से राजनीतिक प्रतिशोध ले रही है. उनके अनुसार, अगर राज्य सरकार केंद्र के इशारे पर न चले तो विकास योजनाओं में अड़चन डाली जाती है और अब तो श्रद्धालुओं के लिए पवित्र स्थलों के रास्ते भी रोक दिए गए हैं.
पंजाब की अस्मिता का प्रश्न
मान ने स्पष्ट किया कि श्री करतारपुर साहिब और श्री ननकाना साहिब पंजाब की आत्मा का हिस्सा हैं और इन्हें राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता. उन्होंने कहा कि पंजाब की धरती ने भगत सिंह और करतार सिंह सराभा जैसे शहीद दिए हैं, इसलिए पंजाब किसी भी परिस्थिति में अपनी आस्था और अस्मिता से समझौता नहीं करेगा. मुख्यमंत्री ने अपने बयान में यह दोहराया कि पंजाब सरकार जमीनी स्तर पर सेवा और कामकाज को प्राथमिकता देती है, और यही कारण है कि लोग इसे 'आम आदमी की सरकार' मानते हैं.
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