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भगवंत मान सिंह का अमरिंदर सरकार पर वार, कहा-कॉर्पोरेट घरानों...

भगवंत मान सिंह कहा कि कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार की ओर से अडानी ग्रुप के साथ बिजली खरीद समझौता करके किसान आंदोलन की पीठ में छूरा घोंपा है.

Updated on: 13 Dec 2020, 11:58 PM

नई दिल्ली :

आप सांसद भगवंत मान (AAP MP Bhagwant Mann) केंद्र सरकार समेत अमरिंद सरकार पर जमकर वार किया. भगवंत मान ने कहा कि कृषि संबंधी केंद्रीय काले कानूनों के विरुद्ध जिस समय पंजाब और देश का किसान मोदी सरकार के साथ-साथ कॉर्पोरेट घरानों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ रहा है, ठीक उसी समय कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार की ओर से अडानी ग्रुप के साथ बिजली खरीद समझौता करके किसान आंदोलन की पीठ में छूरा घोंपा है.

मीडिया को संबोधन करते हुए भगवंत मान ने कहा कि कृषि विरोधी काले कानूनों और कॉर्पोरेट घरानों के बारे में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की कथनी और करनी में दिन-रात का फर्क है. एक तरफ कैप्टन और कांग्रेस कृषि कानूनों के विरुद्ध तरह तरह की ड्रामेबाजियां कर रहे हैं, दूसरी तरफ कैप्टन सरकार बार-बार कृषि कानूनों और कॉर्पोरेट घरानों का पक्ष दबाती आ रही है. अडानी ग्रुप से किए ताजा बिजली समझौते ने साबित कर दिया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करते हुए मोदी सरकार के इशारों पर नाच रहे हैं.

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भगवंत मान ने कहा कि जब कृषि कानूनों के विरुद्ध पंजाब और देश के किसान 26 नवंबर को दिल्ली कूच करने के लिए आह्वान कर रहे थे तो ठीक उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह अडानी ग्रुप के साथ बिजली खरीदने की डील सफलतापूर्वक पूरी कर ली थी. कैप्टन अमरिंदर सिंह यह कदम किसानी आंदोलन का मनोबल तोडऩे की साजिश से कम नहीं है, क्योंकि एक तरफ किसान कॉर्पोरेट घरानों से सम्बन्धित पेट्रोल पंपों, मॉल, टोल प्लाजे और सैलो गोदामों समेत अन्य कारोबारों का बॉयकाट कर रहे हैं. उस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार अडानी ग्रुप को पंजाब में बिजली के कारोबार का तोहफा दे दिया.

भगवंत मान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे की मांग करते कहा कि नैतिक तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब का मुख्यमंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया. भगवंत मान ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिजली माफिया को नकेल कसने की बजाए पिछली बादल सरकार की तरह हिस्सापत्ती (दलाली) को ही पहल दी है, यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह लोक हितैषी होते तो वह मोदी सरकार के दबाव में आ कर अडानी ग्रुप के साथ बिजली समझौता न करते और अपने चुनावी वायदे के अनुसार बादलों की ओर से निजी बिजली कंपनियों के साथ किये गए महंगे और एक तरफा बिजली खरीद समझौते (पीपीएज) भी रद्द करते. 

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उन्होंने राहुल गांधी को सवाल करते कहा कि एक तरफ वह किसानों के हक में ट्रैक्टर रैलियां कर रहे हैं, दूसरी ओर उनके मुख्यमंत्री कैप्टन कैप्टन कॉर्पोरेट घरानों के साथ समझौते कर रहे हैं, क्या वह कांग्रेस को बताए बिना ही ऐसे समझौते कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री कैप्टन की ओर से गृहमंत्री अमित शाह से की मुलाकात पर टिप्पणी करते कहा कि शायद कैप्टन साहेब यह ही बताने आए थे कि उनके हुक्मों के मुताबिक अडानी के साथ समझौता कर लिया गया है, अब ईडी के पक्ष से मेहरबानी रखना.