विदेशों में 'मनी एंड ब्रेन डरेन' होना गहरी चिंता का विषय: भगवंत मान
आम आदमी पार्टी पंजाब के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और सांसद भगवंत मान ने पंजाब सहित भारत से पैसा और टैलेंट (मनी एंड ब्रेन ड्रेन) के विदेश जाने पर गहरी चिंता जताई है. साथ ही मान ने आजादी के बाद पंजाब और केंद्र में कुछ योजनाओं के लागू न की जाने पर बात की.
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के मुख्यमंत्री उम्मीदवार और सांसद भगवंत मान ने पंजाब सहित भारत से पैसा और टैलेंट (मनी एंड ब्रेन ड्रेन) के विदेश जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है. मान ने कहा कि आजादी के बाद से पंजाब और केंद्र में शासन करने वाली सरकारों ने डॉक्टरी, मेडिसीन, इंजीनियरिंग, इनफार्मेशन समेत विज्ञान के क्षेत्र में कोई आधुनिक और विश्व स्तरीय योजना और प्रणाली लागू नहीं की. यही कारण है कि आज देश का टैलेंट और पैसा दोनों विदेश जा रहा है.
शनिवार को पार्टी कार्यालय से जारी बयान में भगवंत मान ने कहा कि, ''पंजाब देश के उन राज्यों में से एक है, जहां हर साल सबसे ज्यादा 1.50 लाख से 2 लाख युवा विदेश पढ़ाई करने और रोजी-रोटी कमाने जाते हैं. इन छात्रों के साथ लगभग 30 करोड़ रुपए भी विदेशों की यूनिवर्सिटीज,कॉलेजों और स्कूलों में फीस व अन्य खर्चों के तौर पर चला जाता है,जोकि पंजाब के कुल बजट का 20 फीसदी है.''
मान ने चिंता जताते हुए कहा कि कृषि प्रधान राज्य पंजाब से हर साल 2 लाख युवाओं और 30 हजार करोड़ रुपए का विदेश जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इसे रोकना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि युवा वर्ग विज्ञान से जुड़े क्षेत्रों में तरक्की करना चाहता है,ताकि वह नए जमाने में नई जरूरतों को पूरा करने के लिए अच्छी शिक्षा प्राप्त कर एक अच्छे जीवन का आनंद उठा सकें.
मान ने आरोप लगाया, ''पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस-कैप्टन , अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारों ने न तो राज्य की युवा पीढ़ी के लिए अच्छी और वैज्ञानिक शिक्षा की व्यवस्था की और न ही अच्छा जीवन जीने के लिए उन्हें अनुकूल वातावरण दिया. प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह और चरणजीत सिंह चन्नी की सरकारों ने राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने और अपना खजाना भरने के लिए राज्य में नशा, भ्रष्टाचार, शराब, रेत और केबल माफियाओं को खड़ा किया है.
मान ने कहा कि बेहद दुर्भाग्य की बात है कि महंगी शिक्षा और शिक्षा माफिया के कारण प्रदेश के छात्र अपना घर और देश छोडक़र विदेशों में पढऩे को मजबूर हैं. विदेश जाकर छात्रों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार बहुत जरूरी है और यह तभी मुमकिन है जब अधिक से अधिक संख्या में सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए जाएं। सरकारी विश्वविद्यालयों की वर्तमान जर्जर स्थिति को सुधारा जाए और निजी शिक्षण संस्थानों की फीस नियमित करने की ठोस योजना बनाई जाए.
भगवंत मान ने कहा कि केंद्र और पंजाब की सरकारों ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को हाशिए पर ला खड़ा कर दिया है. आजादी के बाद बनी योजनाओं के मुतािबक जिला स्तर पर एक भी सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं खोला गया. 1966 के बाद पंजाब के पटियाला,फरीदकोट और अमृतसर मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस, एम.डी और एम.एस. की सीटों में जरूरत के मुताबिक बढ़ाने के बजाय मामूली बढ़ोतरी की गई. उन्होंने कहा कि मोहाली में पिछले साल खुले डॉ. बी.आर. अंबेडकर मेडिकल कालेज की 100 सीटों समेत चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल 675 एमबीबीएस की सीटें हैं, जोकि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की तुलना में बेहद कम हैं. मान ने कहा कि भले ही पंजाब के आधे से ज्यादा प्राइवेट कॉलेजों में एमबीबीएस की करीब 770 सीटें हैं,लेकिन इनके लिए 50 लाख से 80 लाख रुपए वसूले जा रहे हैं. कम मेरिट वाले अमीर घरों के बच्चे करोड़ों रुपए खर्च कर के एमबीबीएस की डिग्री कर रहे हैं लेकिन मध्यमवर्गीय और आम घरों के बच्चे इतनी फीस देने के बारे सोच भी नहीं सकते.
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