देश में दूध की बढ़ती कीमतों पर रावघ चड्ढा ने केंद्र पर बोला हमला

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को दूध की बढ़ती कीमतों को रोकने में विफल रहने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर हमला बोला.

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को दूध की बढ़ती कीमतों को रोकने में विफल रहने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर हमला बोला.

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Deepak Pandey
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राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा( Photo Credit : News Nation)

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को दूध की बढ़ती कीमतों को रोकने में विफल रहने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि दो साल पहले इसके बारे में जानने के बावजूद समस्या का समाधान करने में केंद्र की नाकामी के कारण दूध की कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि चारे की कीमतों से दूध का सीधा संबंध है.

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सांसद राघव चड्ढा ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा कि दूध की कीमतें फिर से बढ़ने के लिए तैयार हैं. कारण?- 1. चारे की कीमतों में बेरोकटोक वृद्धि 2. लम्पी वायरस के प्रसार के कारण कुछ वर्षों से किसान चारे के बजाय अन्य फसलों की बुवाई करना पसंद कर रहे हैं. चारे की कीमतें अब अगस्त में 9 साल के उच्चतम स्तर 25.54% तक पहुंच गई हैं. अकेले गुजरात में, जो कि दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, पिछले दो वर्षों में चारा फसलों का क्षेत्रफल 1.36 लाख हेक्टेयर कम हो गया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने दो साल पहले चारे के संकट और कृषक परिवारों पर इसके प्रभाव को देखा था, इसलिए विशेष रूप से चारे के लिए 100 किसान उत्पादक संगठन (FPO) स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में तैयार किया गया था.

विडंबना यह है कि संकट सामने आने के बावजूद अभी तक एक भी एफपीओ पंजीकृत नहीं किया गया है. सरकार को वर्षों पहले संभावित संकट के बारे में पता था, लेकिन कुछ नहीं किया. केवल एक साल में, चारे की कीमतों और मांग दोनों में तीन गुना वृद्धि हुई है. उदाहरण के लिए अकेले राजस्थान और एमपी में, चारे (भूसे) की कीमतें 400-600 रू प्रति क्विंटल से बढ़कर 1100-1700 प्रति क्विंटल हो गईं.

लम्पी वायरस अनियंत्रित रूप से फैल रहा है और चारे की कीमतें बेरोकटोक बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिए कुछ भी नहीं किया है. परिणाम स्वरूप किसानों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है.

Source : News Nation Bureau

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