logo-image

बेअदबी का इंसाफ दिलाने की नहीं है मुख्यमंत्री चन्नी की मंशा- हरपाल सिंह चीमा

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार चुनाव में फायदे के उद्देश्य से मामले को पेचीदा बनाने के लिए जांच-पड़ताल में देर कर रही है.

Updated on: 23 Dec 2021, 12:01 AM

नई दिल्ली:

पिछले दिनों अमृतसर के पवित्र हरमंदिर साहिब में हुई बेअदबी की घटना और उसके बाद राज्य में उत्पन्न हुए हिंसक माहौल को आम आदमी पार्टी ने बड़ी राजनीतिक साजिश करार दिया. बुधवार को पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए आप के वरिष्ठ नेता और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा, पंजाबी भाईचारा खराब करने के लिए पारंपरिक पार्टियां 2015 से ही धार्मिक बेअदबी की घटनाओं को अंजाम दे रही है.

हरमंदिर साहिब की बेअदबी के दोषियों पर कार्रवाई करने के कांग्रेस सरकार के दावे पर सवाल करते हुए चीमा ने कहा, चन्नी सरकार ने सभी दोषियों और साजिशकर्ताओ को दो दिन में पकड़ने का दावा किया था. आज चार दिन से ज्यादा हो गए. लेकिन साजिशकर्ताओं को पकड़ना को तो दूर, कांग्रेस सरकार इस घटना को अंजाम देने वाले दोषी की पहचान भी नहीं कर सकी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार चुनाव में फायदे के उद्देश्य से मामले को पेचीदा बनाने के लिए जांच-पड़ताल में देर कर रही है.

सत्ताधारी कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए चीमा ने कहा, "2015 में हुई गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और कोटकपूरा व बहबल कलां गोलीकांड मामले में इंसाफ दिलाने का वादा कर कांग्रेस 2017 में सत्ता में आई. लेकिन आज तक कांग्रेस सरकार ने इन मामले के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की." उन्होंने सवाल करते हुए कहा, अगर सच में कांग्रेस की नीयत इंसाफ दिलाने की होती तो इस मामले से संबंधित 2018 की जस्टिस रणजीत सिंह की रिपोर्ट पर कांग्रेस सरकार ने आज तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? कांग्रेस सरकार द्वारा बार-बार नई एसआईटी बनाने के बाद भी अभी तक न दोषियों को सजा मिली और न संगत को इंसाफ मिला.

चीमा ने कहा, "हर बार चुनाव के समय राजनीतिक साजिश के तहत इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसके पीछे खुद सरकार और सरकारी एजेंसियों के हाथ होते है. 2015 से अब तक पंजाब में न सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई बल्कि हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता और इस्लाम का पवित्र ग्रंथ कुरान साहिब की भी बेअदबी हुई। लेकिन वर्तमान और पिछली सरकारों ने कोई कार्रवाई नहीं की. इससे साबित होता है कि सत्तारूढ़ दल अपने राजनीतिक लाभ के लिए दोषियों और साजिशकर्ताओं को जानबूझकर नहीं पकड़ती है.