आम आदमी पार्टी ने शहीद किसानों की याद में पंजाब में निकाला कैंडल मार्च
आप विधायक कुलतार सिंह संधवा ने अकाली दल बादल की ओर से 17 सितंबर को दिल्ली में मनाए गए काले दिवस को ड्रामा बताया.
highlights
- वर्ष 2020 में 17 सितंबर को तीनों कृषि कानून बिल लोकसभा में हुए थे पास
- अकाली दल (बादल) ने भी 17 सितंबर को दिल्ली में मनाया काला दिवस
- देश भर में धरने के दौरान शहीद हुए किसानों की दी गयी श्रद्धांजलि
चंडीगढ़:
आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को पंजाब में तीन कृषि कानूनों के विरोध में शहीद हुए लगभग 650 से अधिक किसानों को कैंडल मार्च निकालकर श्रद्धांजलि अर्पित की. पार्टी हेडक्वार्टर में पार्टी के प्रवक्ता, किसान विंग के प्रदेशाध्यक्ष और विधायक कुलतार सिंह संधवा ने बताया कि आप के विधायकों, लोकसभा प्रभारियों, जिला अध्यक्षों, पदाधिकारियों और वॉलंटियरों ने 17 सितंबर को काले दिवस के रूप में मनाया. मानसा, बठिंडा, संगरूर, बरनाला, पठानकोट, फिरोजपुर, फरीदकोट, जालंधर, अमृतसर, होशियारपुर सहित पंजाब भर में जिला स्तर पर काली पट्टी बांधकर कैंडल मार्च निकाले.
आप के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कैंडल मार्च निकालने के साथ पंजाब के उन परिवारों को काले कृषि कानून रद्द करवाने का भरोसा दिलाया, जिन्होंने किसान आंदोलन में अपनों को खो दिया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में 17 सितंबर को तीनों काले कृषि कानून बिल लोकसभा में पास किए जाने के कारण ही इस दिन को काली पट्टी बांध कर काले दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. संधवा ने कहा कि किसान नेताओं के साथ आप हर मोर्चे पर डटकर खड़ी है.
संधवा ने अकाली दल बादल की ओर से 17 सितंबर को दिल्ली में मनाए गए काले दिवस को ड्रामा बताते हुए कहा कि बेहतर होता ‘बादल एवं कंपनी' पंजाब के लोगों के किए नुकसान की भरपाई अपने चेहरे पर पश्चाताप की कालिख पोत कर मनाती. संधवा ने कहा कि बादल परिवार ने काले कृषि कानूनों को बनाने में पूरा योगदान किया है. यदि हरसिमरत कौर बादल ऑर्डिनेंस पर बतौर केंद्रीय मंत्री हस्ताक्षर नहीं करती तो किसानों के लिए यह काला दिन कभी नहीं आता.
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केंद्र में मोदी सरकार द्वारा बनाए काले कानूनों के खिलाफ देश भर के किसानों समेत पंजाब के हर घर में भारी रोष व्याप्त है. इनके विरोध में एक वर्ष से देश भर में धरने पर डटे किसान कुर्बानियां दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में मौजूदा कैप्टन सरकार द्वरा पंजाब के लोगों से विश्वासघात किया. इसी कारण केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों काले कृषि कानून बनाकर कृषि, किसान और अन्य सभी निर्भर वर्गों की आर्थिक बर्बादी की इबारत लिखी और उन्हें देश पर थोप दिया. संधवा के अनुसार किसानी और निर्भर वर्गों की बर्बादी के लिए नरेंद्र मोदी समेत कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल बराबर के कसूरवार हैं.
कुलतार सिंह संधवा ने मांग की कि आंदोलन में शहीद होने वाले प्रत्येक किसान-मजदूर के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और उनका शत प्रतिशत कर्ज माफ किया जाए. उन्होंने पंजाब सरकार द्वारा करीब 200-250 परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी देने की नीति पर असंतोष जताते हुए इस संख्या को काफी कम बताया. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को किसान संगठनों से सही आंकड़ा लेना चाहिए , ताकि सभी करीब 650 शहीद परिवारों को इस नीति के तहत लाभ मिल सके.
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