ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी: स्वर्ण मंदिर पर लगे खालिस्तानी नारे, लहराए गए भिंडरावाले के पोस्टर
ऑपरेसन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की बरसी के मौके पर अमृतसर (Amritsar) के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के बाहर खालिस्तान के समर्थन में जमकर नारेबाजी की गई. इस दौरान खालिस्तानी आतंकी जरनैल भिंडरवाले (Pro-Khalistani Terrorist Jarnail Singh Bhindrawale) के पोस्टर लहराए गए और अलगाववादी बातें कही गई.
highlights
- ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी
- स्वर्ण मंदिर पर लगे खालिस्तानी नारे
- जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर लहराए गए
अमृतसर:
ऑपरेसन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की बरसी के मौके पर अमृतसर (Amritsar) के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के बाहर खालिस्तान के समर्थन में जमकर नारेबाजी की गई. इस दौरान खालिस्तानी आतंकी जरनैल भिंडरवाले (Pro-Khalistani Terrorist Jarnail Singh Bhindrawale) के पोस्टर लहराए गए और अलगाववादी बातें कही गई. ये वीडियो समाचार एजेंसी एएनआई ने जारी किया है, जिसमें देश विरोधी नारेबाजी साफ तौर पर सुनी जा सकती है. वीडियो में दिख रही भीड़ स्वर्ण मंदिर के गेट पर इकट्ठी हुई और देश विरोधी नारे लगाए.
खालिस्तान और भिंडरावाले के समर्थन में नारेबाजी
भीड़ के हाथों में जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर थे, जिसे सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मार गिराया था. बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) 1 से 10 जून 1980 के बीच चलाया गया था, जिसमें सेना ने स्वर्ण मंदिर को खालिस्तानी आतंकियों से मुक्त कराया था.
ये भी पढ़ें: Operation Blue Star: जानें क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार के पीछे का सच
देखें-वीडियो...
#WATCH | Punjab: A group of people gathers at the entrance to the Golden Temple in Amritsar, raises pro-Khalistan slogans and carries posters of Khalistani separatist Jarnail Bhindranwale. pic.twitter.com/zTu9ro7934
— ANI (@ANI) June 6, 2022
क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?
बता दें कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को अलगाववादियों से आजाद कराने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार को 38 साल पूरे हो गए हैं. 6 जून, 1984 को देर रात जरनैल सिंह भिंडरावाले (अलगाववादी नेता) की मौत के बाद लाश मिलने पर ऑपरेशन ब्लू स्टार खत्म हो गया था. अगले चार दिनों तक पूरे स्वर्ण मंदिर और उसके-आसपास के इलाकों को सेनिटाइज किया गया था. इस पूरे ऑपरेशन में 83 सैनिक मारे गए थे, जिसमें तीन सेना के अफसर थे. इस दौरान 492 लोग मारे गए थे, जबकि 248 लोग घायल हुए थे. दरअसल, उस समय पंजाब को भारत से अलग कर 'खालिस्तान' राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी. इसलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था.
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