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त्रिपुरा कांग्रेस ने राज्य प्रमुख पर हमले के खिलाफ किया 12 घंटे बंद का आह्वान

जाने-माने वकील बिस्वास ने बाद में मीडिया से कहा, 'बीजेपी के गुंडों' ने मेरी हत्या करने के लिए हमला किया और मेरी कार को लोहे की छड़ों और लाठियों से बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. उन्होंने कहा, त्रिपुरा में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार न केवल अलोकतांत्रिक

Updated on: 18 Jan 2021, 12:59 PM

नई दिल्ली:

त्रिपुरा में विपक्षी कांग्रेस ने पार्टी के राज्य अध्यक्ष पीयूष बिस्वास पर कथित हमले के विरोध में सोमवार को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है. कांग्रेस का आरोप है, 'बीजेपी के गुंडों ने हमला किया.' सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हमले की निंदा की, और कांग्रेस से अपना आंदोलन वापस लेने का आग्रह किया. कांग्रेस के त्रिपुरा के उपाध्यक्ष तापस डे ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने 'कुख्यात गुंडों' के साथ शनिवार देर शाम बिशालगढ़ के सिपहीजाला जिले में हमला किया. जबकि राज्य पार्टी प्रमुख बाल-बाल से बच गए, पार्टी के कई कार्यकर्ता घायल हो गए.

राज्य महासचिव हरेकृष्ण भौमिक, बापू चक्रवर्ती और तेजेन दास के साथ डे ने मीडिया को बताया, हमला बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस की मौजूदगी में गुंडों द्वारा किया गया था. राज्य के पार्टी प्रमुख पर बीजेपी के हमले का विरोध करने के लिए, हमने सोमवार को राज्यव्यापी 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हमले के तुरंत बाद शनिवार रात को एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस ने अभी तक हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए कोई कदम नहीं उठाया.

जाने-माने वकील बिस्वास ने बाद में मीडिया से कहा, 'बीजेपी के गुंडों' ने मेरी हत्या करने के लिए हमला किया और मेरी कार को लोहे की छड़ों और लाठियों से बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. उन्होंने कहा, त्रिपुरा में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि शासन भी बर्बर तरीके से चला रही है. लोगों को भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करना चाहिए. उधर, भाजपा के राज्य मुख्य प्रवक्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने सच्चाई का खुलासा करने के लिए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की.

उन्होंने कहा, हम पुलिस से हमलावरों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं. जांच से पता चलेगा कि यह हमला है या कांग्रेस के आंतरिक झगड़े का नतीजा. कांग्रेस को बंद के आह्वान को वापस लेना चाहिए, क्योंकि इससे शांति और प्रगति में बाधा होगी.