ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप के जरिए फ्रॉड करने वालों पर शिकंजा, 9 करोड़ से ज्यादा रुपए जब्त
तेलंगाना की साइबराबाद शाखा ने सोमवार को एक अंतरराज्यीय ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप चलाने वाली गैंग का पर्दाफाश किया. साइबर पुलिस ने मुखियारोपी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इन के पास से 9 करोड़ 81 लाख रुपये भी बरामद किए गए हैं.
highlights
- तेलंगाना पुलिस ने किया अंतरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश
- पुलिस ने गैंग के चार आरोपियों को किया गिरफ्तार
- आरोपियों के ठिकाने से मिले 9 करोड़ से ज्यादा रकम
हैदराबाद:
तेलंगाना की साइबराबाद शाखा ने सोमवार को एक अंतरराज्यीय ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप चलाने वाली गैंग का पर्दाफाश किया. साइबर पुलिस ने मुखियारोपी समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इन के पास से 9 करोड़ 81 लाख रुपये भी बरामद किए गए हैं. इसके अलावा मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त किए गए हैं. मुख्य आरोपी की पहचान उत्तर प्रदेश के मुगलसराय के रहने वाले अभिषेक जैन के तोर पर की गई है, जब कि दो आरोपी पवन कुमार और आकाश राय राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं. चौथा आरोपी कृष्ण कुमार मुगलसराय का रहने वाला है. आरोपियों ने इस ऐप को विविध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में कमोडिटी एक्सचेंज एप्लीकेशन के तौर पर प्रमोट कर रहे थे और 3 हजार से ज्यादा लोगों को इस एप से जोड़ लिया था.
क्या थी उनकी मोडस ऑपरेंडी
साइबराबाद की डीसीपी रीति राज के मुताबिक मुख्य आरोपी अभिषेक जैन ने पैसे के लेनदेन के लिए पवन कुमार और आकाश राय के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल कर रहा था. इसी अकाउंट के जरिए पैसे को डायवर्ट किया जाता था और ट्रेडिंग एप के जरिए पैसे अपने हाथों में लेने के लिए मर्चेंट अकाउंट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था. पवन और आकाश को इस काम के लिए अभिषेक जैन 10% कमीशन देता था. कृष्ण कुमार का काम था कि जो भी लोगों से कैश आए, उसे इस ऐप की मदद से पवन और आकाश के बैंक अकाउंट में जमा किया जाए. यानी पैसे को रोटेट करना उसका काम था, ताकि किसी को पता ना चले कि निवेशकों का पैसा कहा चला गया.
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ऐसे पकड़े गए आरोपी
दरअसल, कुछ दिन पहले हैदराबाद के एक निवासी ने साइबराबाद पुलिस स्टेशन लिमिट्स में एक शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि एक ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप में निवेश करने की वजह से उनका 28 लाख रुपए का नुकसान हुआ है . पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू कि तो पता चला कि मार्केटिंग बॉक्स ट्रेडिंग एप के जरिए लोग इन्वेस्टमेंट कर रहे थे , लेकिन चारों आरोपी इन पैसों को अपनी बनाई कंपनी फिनकॉर्प के जरिए डायवर्ट कर रहे थे. यही वजह थी कि ज्यादातर निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था और आरोपी लोगों का पैसा हड़प लिया करते थे.
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