logo-image

राजस्थान में फिर गरमाई आरक्षण की राजनीति,  हाईवे जाम के बाद इंटरनेट बंद

राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर से आरक्षण की सियासत जोर पकड़ने लगी है. इस बार राजस्थान में माली, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य समाज ने 12 फीसदी आरक्षण की मांग उठाई है.

Updated on: 14 Jun 2022, 08:19 AM

highlights

  • आन्दोलनकारियों ने 24 घंटे से हाईवे को बना रखा है बंधक
  • भरतपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-21 पर लाठी लेकर जमे हैं लोग
  • हालात को काबू में रखने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट किया बंद

नई दिल्ली:

राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर से आरक्षण की सियासत जोर पकड़ने लगी है. इस बार राजस्थान में माली, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य समाज ने 12 फीसदी आरक्षण की मांग उठाई है. समुदाय के सैकड़ों लोगों ने भरतपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-21 (आगरा-जयपुर) को हाथों में लाठी लिए हुए जाम कर दिया. पिछले 24 घंटे से अधिक समय से हाईवे जाम है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भरतपुर के संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने सोमवार को सुबह 11 बजे से चार शहरों में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं.

सरकार ने बातचीत के लिए बनाई टीम
आंदोलन को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया तेज कर दी है. राज्य की गहलोत सरकार ने मंत्री विश्वेंद्र सिंह और संभागायुक्त को अधिकृत किया है. इस बीच भरतपुर संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने कहा कि जयपुर-आगरा यातायात बाधित कर दिया गया है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि नदबई, वैर भुसावर और उचैन तहसीलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है.

ये भी पढ़ेंः इंतजार खत्म, अगले 24 से 48 घंटों में इन राज्यों में होगी बारिश, लू से मिलेगी निजात

आरक्षण संघर्ष समिति सरकार पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप
वहीं, आरक्षण संघर्ष समिति के संरक्षक लक्ष्मण सिंह कुशवाहा ने कहा कि समाज के लोग संविधान के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. संविधान के अनुच्छेद 16(4) में प्रावधान किया गया है कि जो जातियां बहुत पिछड़ी हैं, उन्हें राज्य सरकार द्वारा आरक्षण दिया जा सकता है. कुशवाहा ने कहा कि काची (माली) समाज सबसे पिछड़ा वर्ग है. काची समुदाय की आबादी 12 प्रतिशत है, इसलिए हम जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मांग रहे हैं. हमने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और उन्होंने आश्वासन दिया था कि इस पर विचार किया जाएगा, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. हमें विरोध करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.