ओडिशा में लाल चींटियों ने किया जीना मुश्किल, लोग घर छोड़कर भागने को मजबूर
ओडिशा में बाढ़ का पानी उतरने के बाद एक गांव में जहरीली चीटियों की वजह से दहशत है. लोग चीटियों के चलते कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. हर जगह चीटियों का राज कायम हो चुका है. कई लोग तो गांव छोड़कर भाग चुके हैं.
नई दिल्ली :
ओडिशा में बाढ़ का पानी उतरने के बाद एक गांव में जहरीली चीटियों की वजह से दहशत है. लोग चीटियों के चलते कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. हर जगह चीटियों का राज कायम हो चुका है. कई लोग तो गांव छोड़कर भाग चुके हैं. हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने जिला प्रशासन की मदद के लिए वैज्ञानिकों की टीम को भी उतार दिया है, जो इस भयानक संकट से बचाव का रास्ता सुझा सकें. वैज्ञानिकों का कहना है कि बचाव का रास्ता यही है कि रानी चीटियों की तलाश की जाए, नहीं तो इस संकट से अंत पाना मुश्किल लग रहा है.
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ओडिशा के पुरी जिले में सरकारी स्तर पर एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया गया है. दरअसल, जहरीली चीटियों ने पूरे गांव पर हमला बोल दिया है. मंगलवार को राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि कई लोग तो गांव छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं. घटना चंद्रदेवपुर पंचायत के ब्रह्मानसाही गांव की है. जैसे ही गांव से बाढ़ का पानी उतरा है, लाखों जहरीली चीटियों (red and fire ants) ने धावा बोल दिया है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि गांव वालों को खतरनाक चीटियों से छुटकारा दिलाने के लिए लिए जिला प्रशासन और ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों को उतारा गया है.
इस समय ब्रह्मानसाही गांव की स्थिति ये है कि कोई भी कोना चीटियों से नहीं बचा हुआ है. घर, सड़क, खेत से लेकर पेड़ों पर भी चीटियां ही चीटियां दिख रही हैं. चीटियों की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. कई लोगों को तो चीटियों ने काटा है तो उनके शरीर का वह हिस्सा सूज गया है और त्वचा पर बहुत ही ज्यादा जलन की शिकायत कर रहे हैं. चीटियों का कहर ऐसा है कि मवेशी और घर में पाई जाने वाली छिपकिलियों के भी जान के लाले पड़ गए हैं. हालात का अंदाजा लगाने के लिए यही काफी है कि चाहे बैठना हो, खड़ा होना हो या फिर सोना हो, कीटनाशक पाउडर का घेरा लगाए बिना संभव ही नहीं रह गया है.स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी तक कम से कम गांव के तीन परिवार चीटियों के आतंक के चलते अपना घर छोड़कर भाग गए हैं और रिश्तेदारों के यहां जाकर रहने को मजबूर हैं. लोकनाथ दास नाम के एक ग्रामीण ने बताया कि उसने अपनी जिंदगी में पहले इस तरह की घटना कभी नहीं देखी, जबकि बाढ़ पहले भी आती रही है. आजकल पास के एक गांव में अपने परिवार के साथ एक रिश्तेदार के साथ रह रहीं रेनुबाला दास ने कहा, 'चीटियों ने हमारी जिंदगी को दुखी कर दिया है.
हम ठीक से खा, सो या बैठ भी नहीं पा रहे हैं. चीटियों के डर से बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं.'ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक संजय मोहंती का कहना है कि यह गांव एक नदी और झाड़ीदार जंगलों से घिरा हुआ है. उनके मुताबिक, 'नदी के तटबंधों और झाड़ियों पर रहने वाली चीटियां गांव में चली गईं, क्योंकि उनके आवास बाढ़ के पानी से भर गए थे.' उन्होंने कहा किया यह गांव में नई घटना है, जहां करीब 100 परिवार रहते हैं. आगे की योजना के बारे में उन्होंने बताया, 'हालांकि, हम लोग यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि चीटियां आ कहां से रही हैं. एक बार जगह का पता चल जाए, दो मीटर के दायरे में कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है.'संजय मोहंती ने सबसे जरूरी बात रानी चीटियों के बारे में बताई, जिनकी तलाश सरगर्मी से शुरू की जा चुकी है. उन्होंने कहा, 'इस संकट को खत्म करने के लिए, हमारा प्राथमिक उद्देश्य रानी चीटियों को ढूंढना और मारना है. वे इलाके में इन चींटियों के विस्फोट के लिए जिम्मेदार हैं.' उन्होंने जानकारी दी कि इन चीटियों के बारे में विशेष जानकारी जुटाने के लिए उनके सैंपल लैबोरेटरी में भेजे गए हैं. वैज्ञानिक ने बताया कि 2013 में चक्रवात फैलिन के बाद जिले के सदर ब्लॉक के डंडा गांव में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली थी.
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