वीडियो: अोडिशा का आदिवासी युवक श्रवण कुमार की तरह मां-बाप को 40 किलो मीटर पैदल लेकर पहुंचा कोर्ट

कार्तिक सिंह नाम का ये युवक अपने मां-बाप को श्रवण कुमार की तरह बांस से लटकाकर 40 किलोमीटर पैदल चलककर न्यायालय ले गया।

कार्तिक सिंह नाम का ये युवक अपने मां-बाप को श्रवण कुमार की तरह बांस से लटकाकर 40 किलोमीटर पैदल चलककर न्यायालय ले गया।

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Deepak K
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वीडियो: अोडिशा का आदिवासी युवक श्रवण कुमार की तरह मां-बाप को 40 किलो मीटर पैदल लेकर पहुंचा कोर्ट

बूढ़े मां-बाप को 40 किलो मीटर पैदल लेकर पहुंचा कोर्ट

ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के मोरोदा गांव के एक आदिवासी युवक की हृदय विदारक तस्वीर सामने आई है। कार्तिक सिंह नाम का ये युवक अपने मां-बाप को श्रवण कुमार की तरह बांस से लटकाकर 40 किलोमीटर पैदल चलककर न्यायालय ले गया।

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युवक के मुताबिक 2009 में उसपर एक 'फर्ज़ी' केस दायर किया गया था। बाद में पुलिस ने कार्तिक सिंह को 18 दिनों तक जेल में बंद रखा। इसी वजह से गांव वालों ने उसे गांव से बहिष्कृत कर दिया है जो कि अब तक जारी है। यानी कि वो अपने गांव में नहीं रह सकता।

कार्तिक सिंह ने बताया, 'मेरे पास आय का कोई ज़रिया नहीं है और पैसे भी नहीं हैं। गांव में कोई मुझे काम नहीं दे रहा है। ऐसे में मैं रोज़ी रोटी की तलाश में अपने बूढ़े मां-बाप को छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकता।'

कार्तिक ने बताया, 'वो पढ़ा लिखा युवक है लेकिन कोई नौकरी नहीं कर सकता और न ही शादी कर सकता हूं। क्योंकि मुझपर 6-7 साल से केस चल रहा है।'

वहीं अधिवक्ता प्रभुधन मरांडी ने पुलिस पर संगीन आरोप लगाया है। उनके मुताबिक, 'ऐसा पहली बर नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई लोगों पर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं।'

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इस केस के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए प्रभुधन मरांडी ने बताया, 'मयूरभंज ज़िला अंतर्गत मोरोदा पुलिस का ट्रेक रिकॉर्ड काफी ख़राब रहा है। आए दिन यहां पर निर्दोष लोगों के ख़िलाफ़ इस तरह के झूठे केस बनाए जाते हैं।'

वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता पात्रा ने बताया, 'कार्तिक पूरी तरह से कर्ज़ में डूबा है। उसके पास इतने पैसे भी नहीं की वो अपने बूढ़े मां-बाप का पेट भर सके।'

पात्रा ने बताया कि कार्तिक ने ज़िला कलेक्टर से भी पत्र लिखकर नौकरी देने की मांग की थी ,जिससे वो अपने मां-बाप और ख़ुद का पेट भर सके। क्योंकि इस केस की वजह से गांव के लोगों ने उसके परिवार को बहिष्कृत कर रखा है। लेकिन अब तक डीएम की तरफ से भी कोई जवाब नहीं आया है।

पात्रा ने बताया, 'आर्थिक और सामाजिक रुप से दबे-कुचले वर्गों के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन कार्तिक के केस में अब तक किसी की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया है।'

वहीं कार्तिक का कहना है कि वो केस जीतकर अपने बूढ़े मां-बाप को भरोसा दिलाना चाहते है कि वो निर्दोष है।

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Source : News Nation Bureau

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