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रेल का नाम बदलने को लेकर सियासी बवाल, आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

टाइगर ऑफ मैसूर ,टीपू सुलतान को लेकर एक बार फिर कर्नाटका में सियासी बवाल शुरू हो गया है. वजह है ट्रेन से टीपू सुलतान का नाम हटाकर, म्यसूरु के वोडेयर शाही परिवार पर नाम रखना माना जा रहा है.

Updated on: 08 Oct 2022, 04:35 PM

नई दिल्ली :

टाइगर ऑफ मैसूर ,टीपू सुलतान को लेकर एक बार फिर कर्नाटका में सियासी बवाल शुरू हो गया है. वजह है ट्रेन से टीपू सुलतान का नाम हटाकर, म्यसूरु के वोडेयर शाही परिवार पर नाम रखना माना जा रहा है. यह है म्यसुरु से बेंगलुरु आने वाली ट्रेन , जिसे टीपू एक्सप्रेस कहा जाता था लेकिन शुक्रवार को रेल मंत्रालय ने इस ट्रेन का नाम टीपू एक्सप्रेस से बदलकर वोडेयर एक्सप्रेस रखा दिया. दरअसल इसी साल जुलाई के महीने में म्यसुरु से बीजेपी सांसद प्रताप सिमहा ने केंद्रीय रेल मंत्री को एक खत लिखा था और कहा था की उनके क्षेत्र के लोगो चाहते है.  इस ट्रेन का नाम म्यसुरु के वोडेयर शाही परिवार पर रखा जाए. क्योंकि वोडेयर महाराजा ने ही इस क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क को बनाया था. 

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टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयर एक्सप्रेस रखने के बाद टीपू समर्थक खासे नाराज है. विपक्ष भी बीजेपी पर वोट बैंक राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. दरअसल बीजेपी के सत्ता में आने के बाद ,बीजेपी ने पहले टीपू जयंती के सरकारी कार्यक्रम के तोर पर रद किया फिर पाठ्यक्रम से भी टीपू सुलतान के कुछ चैप्टर्स को हटा दिया. लेकिन बीजेपी का कहना है की टीपू सुलतान फ्रीडम फाइटर नहीं है. बल्कि वो हिंदू विरोधी था लिहाजा उनके नाम पर ट्रेन क्यों होनी चाहिए,यह कांग्रेस की वोट बैंक पॉलिटिक्स ही है जो इस ट्रेन का नाम टीपू एक्सप्रेस रखा गया था लेकिन अब वक्त बदल गया है.  

क्या कहना है इनका 
 टीपू सुलतान को लेकर हमेशा विवाद उठता रहा है , कोइ उन्हे टाइगर ऑफ मैसूर मानता है तो कोई हिंदू विरोधी ,इतिहासकारों की भी अलग अलग राय ,यही वजह है की राजनीतिक दल भी अपने अपने हिसाब से टीपू के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते है. अब ट्रेन का नाम बदलने को लेकर राजनीति की जा रही है. लेकिन रेल मंत्रालय जो भी  किया है, इसके पीछे किसी भी मंसा किसी एक पक्ष को ठेस पहुंचाना नहीं है.