पांडियन को लेकर पटनायक का बड़ा बयान, कहा- नहीं हैं मेरे उत्तराधिकारी

ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा में मिली हार के बाद बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है. साथ ही नवीन पटनायक ने शनिवार को अपने करीबी सहयोगी वीके पांडियन का बचाव करते हुए कहा कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं है.

ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा में मिली हार के बाद बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है. साथ ही नवीन पटनायक ने शनिवार को अपने करीबी सहयोगी वीके पांडियन का बचाव करते हुए कहा कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं है.

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Vineeta Kumari
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पांडियन को लेकर पटनायक का बड़ा बयान( Photo Credit : फाइल फोटो)

ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा में मिली हार के बाद बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है. साथ ही नवीन पटनायक ने शनिवार को अपने करीबी सहयोगी वीके पांडियन का बचाव करते हुए कहा कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं है. पटनायक का यह बयान तब सामने आया है, जब पार्टी को दोनों ही चुनाव में शर्मनाक हार मिली. वहीं, चुनाव के दौरान बीजेपी ने पांडियन को लेकर यह दावा किया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एक गैर-ओड़िया को राज्य के लोगों पर थोपने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान नवीन पटनायक ने कहा था कि ओडिशा के लोग यह तय करेंगे कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा? पांडियन पार्टी के सदस्य हैं और उनकी आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण थी. वह पार्टी में शामिल हुए और किसी भी पद पर नहीं रहे. ना ही उन्होंने चुनाव लड़ा. पिछले 10 सालों में उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छा काम किया है.

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पांडियन नहीं हैं मेरे उत्तराधिकारी- नवीन पटनायक

पटनायक ने वीके पांडियन की तारीफ करते हुए कहा कि पांडियन ने चक्रवात हो या फिर कोविड-19 महामारी, हर समय बेहतरीन काम किया है. उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर पार्टी ज्वाइन किया. वह एक निष्ठावान और ईमानदार व्यक्ति हैं. उन्हें इसके लिए ही याद किया जाना चाहिए. आपको बता दें कि ओडिशा में कुल 147 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 78 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. वहीं, बीजेडी के खाते में 51 सीटें आई. कांग्रेस को 14 सीटों पर जीत मिली है. पटनायक ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था, जिनमें से एक सीट हिंजली पर जीत मिली तो दूसरी सीट कांताबंजी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

24 साल रहे ओडिशा के सीएम

आपको बता दें कि नवीन पटनायक की राजनीति में अचानक से एंट्री हुई थी. जब उनके पिता बीजू पटनायक की मौत के बाद बड़े भाई प्रेम पटनायक ने उनका सियासी उत्तराधिकारी बनने से इनकार कर दिया था. पटनायक पिछले 24 साल से ओडिशा के मुख्यमंत्री थे. उनके नाम राज्य का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड भी है. पटनायक, 1998 में अस्का संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में जीत के बाद कभी चुनाव नहीं हारे थे.

HIGHLIGHTS

  • पांडियन को लेकर पटनायक का बड़ा बयान
  • कहा- नहीं हैं मेरे उत्तराधिकारी
  • 24 साल रहे ओडिशा के सीएम

Source : News Nation Bureau

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