कर्नाटका के गडग जिले के मुंडरगी में चावल और गेहूं की सप्लाई इलाके के आंगनवाड़ी सेंटर्स के लिए थी ताकि गरीबी बच्चों को खाना मिले लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यह सब बर्बाद हो गया है. शायद यह कीड़े वाला चावल और गेहूं इन बच्चों की दिया भी जाता,अगर एक स्थानीय नागरिक राजेश ने वक्त रहते जिले के डीसी को जानकारी नहीं दी होती..राजेश के मुताबिक कुछ दिन पहले वो इस गोदाम के पास से गुजर रहा था तो वहां काफी बदबू थी. उन्होंने तुरंत फूड ऑफिसर को इसकी जानकारी दी लेकिन उसने कहा की यह चाइल्ड डेवलपमेंट का है, इसके बाद राजेश ने तहसीलदार को इसकी जानकारी दी,जब वहां से भी कोई मदद नहीं मिली तो राजेश ने गडग के डीसी को इसकी जानकारी दी। उसने जांच के आदेश दिए.
राजेश ने बताया कि जब वह यहां से गुजर रहे थे, तब हमें महसूस हुआ कि यहां से बदबू आ रही है। हमने पूछा कि क्या यह चावल 2 साल पुराना है या किसके लिए यहां यह चावल संग्रहीत किया गया था। मैंने पहले हमारे खाद्य अधिकारी को फोन किया। वह आया और देखा। उसने कहा कि यह सी.डी.पी.आई. के अंतर्गत है। फिर मैंने सी.डी.पी.आई. को फोन किया और उसने कहा कि उन्होंने बहुत पहले ही आंगनवाड़ी केंद्रों को स्टॉक जमा करने के लिए सूचित कर दिया था और उनका इससे कोई संबंध नहीं है।
फिर मैंने तहसीलदार से बात की। तहसीलदार ने कहा कि यह सी.डी.पी.आई. के अंतर्गत आता है। फिर, गडग डीसी को सूचित किया गया। मैंने उन्हें इसकी तस्वीरें दिखाईं। फिर उन्होंने इसकी जाँच करने के लिए कहा। यह खाद्य विभाग की लापरवाही प्रतीत होती है। अधिकारियों को स्टॉक के बारे में ठीक से पूछताछ करनी चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक आंगनवाड़ी को कितना मिलना चाहिए। उन्होंने पूछताछ नहीं की है। यह उनकी लापरवाही है। सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
दरअसल कर्नाटका में सरकार चाइल्ड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के जरिए आंगनवाड़ी सेंटर्स में गर्भवती महिलाओ और छोटे बच्चो को हर महीने चावल गेहूं मुफ्त देती है.चाइल्ड डेवलपमेंट विभाग एफसीआई से यह सारा राशन खरीदती है और MSPC के जरिए इस राशन को आंगवाड़ी सेंटर्स में बांटने की जिम्मेदारी होती है. मामला सामने आने के बाद ,गडग जिले की MSPC की हेड दरकशायिनी ने गोडाउन का दौरा किया और माना की उनके विभाग के अधिकारियों से लापरवाही हुई है और गोदाम में मोजूद करीब 100 टन चावल गेहूं को तुरंत नष्ट किया जाएगा.दरकशायिनी ने कहा, दरअसल यह दो महीनो की सप्लाई एक साथ ली गई थी लेकिन उनके स्टाफ ने कभी यह नहीं बताया की स्टॉक खराब हो चुका है,
यह स्टॉक बच्चों के लिए था। यह 100 टन है। इसे हर महीने भेजा जाता था। सप्लाई बंद नहीं होगी। दो टन की जगह एक टन सप्लाई किया जा रहा था। इसलिए इतना स्टॉक जमा होता रहा। उन्होंने हमें बताया कि स्टॉक है। लेकिन उन्होंने हमें कभी नहीं बताया कि स्टॉक खराब हो गया है। हाँ, हमारी लापरवाही भी है। मुझे मानना होगा। स्टॉक तो है। एक संभावना थी कि स्टॉक नहीं मिला होगा। हमने इसे इस्तेमाल करने की संभावना के कारण रखा था। जब यह हुआ तो हमने इसे बंद कर दिया।
Source : News Nation Bureau