Orissa के पूर्व राजनयिक अबसार बेउरिया का निधन, राष्ट्रपति ने जताया दुख
ओडिशा के पूर्व भारतीय राजनयिक अबसार बेउरिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया, परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. उनकी पत्नी तृप्ति बेउरिया ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने के बाद बेउरिया का बुधवार देर रात भुवनेश्वर में निधन हो गया. रात करीब एक बजे उन्होंने बेचैनी की शिकायत की तो उनकी पत्नी अपने ड्राइवर के साथ उन्हें एक निजी अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अबसर ने जापान, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार, श्रीलंका और मेडागास्कर सहित कई देशों में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया.
ओडिशा:
ओडिशा के पूर्व भारतीय राजनयिक अबसार बेउरिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया, परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. उनकी पत्नी तृप्ति बेउरिया ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने के बाद बेउरिया का बुधवार देर रात भुवनेश्वर में निधन हो गया. रात करीब एक बजे उन्होंने बेचैनी की शिकायत की तो उनकी पत्नी अपने ड्राइवर के साथ उन्हें एक निजी अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अबसर ने जापान, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार, श्रीलंका और मेडागास्कर सहित कई देशों में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया.
सेवानिवृत्ति के बाद वे कई सांस्कृतिक, साहित्य और अन्य संगठनों से भी जुड़े रहे. वह उड़िया अध्ययन और अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राज्य के कई अन्य नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
Saddened to learn about the demise of Shri Abasar Beuria, former diplomat, author and Chairman, Institute of Odia Studies & Research. He played a key role in translation of engineering books in Odia which I released during my visit to Odisha. Condolences to his family & friends.
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 17, 2022
राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, श्री अबसार बेउरिया, पूर्व राजनयिक, लेखक और उड़िया अध्ययन और अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. उन्होंने उड़िया में इंजीनियरिंग की किताबों के अनुवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे मैंने ओडिशा की अपनी यात्रा के दौरान जारी किया था. उनके प्रति संवेदना.
प्रधान ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि, वह एक स्नेही और मासूम शख्सियत थे और भारतीय राजदूत के रूप में उनका काम अकल्पनीय था. उन्होंने कहा कि उड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को हमेशा याद रखा जाएगा.
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