दंतेवाड़ा पैरों पर चुभती गिट्टी और कंधे पर लाश का बोझ, क्या ऐसा ही है दंतेवाड़ा का विकास

दंतेवाड़ा जिले में सरकार विकास के कई दावे कर रही है. लेकिन यह जो तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं यह तस्वीर कहीं और कि नहीं बल्कि दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लॉक के नीला वाया ग्राम पंचायत की है.

दंतेवाड़ा जिले में सरकार विकास के कई दावे कर रही है. लेकिन यह जो तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं यह तस्वीर कहीं और कि नहीं बल्कि दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लॉक के नीला वाया ग्राम पंचायत की है.

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Sunder Singh
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सांकेतिक तस्वीर( Photo Credit : News Nation)

दंतेवाड़ा जिले में सरकार विकास के कई दावे कर रही है. लेकिन यह जो तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं यह तस्वीर कहीं और कि नहीं बल्कि दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लॉक के नीला वाया ग्राम पंचायत की है. शनिवार को नीला वाला ग्राम के एक ग्रामीण बंडी 52 वर्ष की मृत्यु जगदलपुर ले जाते वक्त हो गई. जिसे दंतेवाड़ा से शव वाहन में उसके गृह ग्राम पहुंचाना था. लेकिन सड़क खराब होने की वजह से समेली अरनपुर सड़क पर ही छोड़ का चली गई. जहाँ से 07 किलोमिटर का सफर खाट पर शव को लेकर ग्रामीणों ने उसके घर तक पहुँचाया. ये तस्वीर सरकार के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है.

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जानकारी के लिए बता दें नीला वाला वही ग्राम है जहां की सड़क पिछले 5 वर्षों से अधूरी पड़ी है. इसी सड़क पर दूरदर्शन के कैमरामैन के साथ जवान शहीद हुए थे. तब से अभी तक यह सड़क उसी हालत में है जहां एक तरफ पुलिस नक्सलियों के बैकफुट में होने का दावा कर रही है. वही यह अधूरी सड़क टूटी पुलिया अभी भी नक्सलियों की मौजूदगी का एहसास दिलाती है. इन दोनों के बीच भोले भाले आदिवासी ग्रामीण पीस रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क बनने से पहले ही ठीक थी. कम से कम गांव तक गाड़ियां तो पहुंचती थी. लेकिन जब से यह सड़क बनना चालू हुई है. तब से गांव तक पहुंचने का एकमात्र साधन पैदल ही है. सड़क पर गिट्टी बिछाकर छोड़ दिया गया है.

जिससे नंगे पांव चलने  में काफी परेशानियां का सामना भी करना पड़ता है. साथ ही सड़क बनने की वजह से माओवादियों ने यहां पहुंचने वाले गोला नाला के पुल को भी तोड़ दिया है. जिसकी वजह से बारिश के दिनों में जान को जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है. यह सड़क पीएमजीएसवाई के द्वारा बनवाया जा रहा है. जिसकी लागत 305. 76 लाख रुपए है. लेकिन बदकिस्मती ऐसी की पिछले 5 साल से यह सड़क अधूरी पड़ी हुई है. ऐसा लगता है कि इस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ती. जिसका खामियाजा भोले -भाले ग्रामीणों को उठाना पढ़ रहा है.

HIGHLIGHTS

  • 7 किलोमीटर का सफर कंधे पर शव का बोझ उठाने को मजबूर ग्रामीण

Source : News Nation Bureau

corpse on the shoulder feet and the burden of Dantewada is this the development Dantewada pricking ballast
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