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किसानों के मुद्दों पर BJP का ओडिशा विधानसभा के सामने विरोध प्रदर्शन

पदमपुर उपचुनाव से पहले भाजपा ने शुक्रवार को यहां ओडिशा विधानसभा के सामने बीजेडी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना सत्याग्रह शुरू किया. पार्टी ने कृषि सहायता, फसल बीमा, उर्वरकों की आपूर्ति और कालिया धन वितरण सहित किसानों के कई मुद्दों को लेकर यह धरना शुरू किया है. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार का आलू मिशन और प्याज मिशन पूरी तरह फेल हो गया है, लेकिन इसके बावजूद, किसानों को नुकसान की भरपाई करने में मदद करने के लिए कोई नीति नहीं है.

Updated on: 18 Nov 2022, 06:15 PM

भुवनेश्वर:

पदमपुर उपचुनाव से पहले भाजपा ने शुक्रवार को यहां ओडिशा विधानसभा के सामने बीजेडी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना सत्याग्रह शुरू किया. पार्टी ने कृषि सहायता, फसल बीमा, उर्वरकों की आपूर्ति और कालिया धन वितरण सहित किसानों के कई मुद्दों को लेकर यह धरना शुरू किया है. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार का आलू मिशन और प्याज मिशन पूरी तरह फेल हो गया है, लेकिन इसके बावजूद, किसानों को नुकसान की भरपाई करने में मदद करने के लिए कोई नीति नहीं है.

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि 2019 के चुनावों का जिक्र करते हुए किसानों को 10,000 रुपये के बजाय कालिया योजना के तहत 4,000 रुपये मिल रहे हैं. राज्य भाजपा के महासचिव पृथ्वीराज हरिचंदा ने कहा कि मंडियों को खोलने में अनियमितता के कारण, किसान अपना धान 2,040 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले 1,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं.

उन्होंने दावा किया कि राज्य में कोल्ड स्टोरेज की कमी है, फिर भी राज्य सरकार इस संबंध में कोई पहल नहीं कर रही है. राज्य सरकार के आलस्यपूर्ण रवैये के कारण, किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत उनके दावे प्राप्त नहीं हुए हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पत्र से यह जाहिर हुआ. भाजपा नेता ने कहा कि अगर बीजेडी नेता पत्र को पढ़ेंगे तो उन्हें अपनी गलती का पता चलेगा.

हरिचंदन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार 2018 से किसानों को इनपुट सब्सिडी नहीं दे रही है. इससे भी ज्यादा निराशाजनक बात यह है कि सरकार सूखे, बाढ़ और चक्रवात के कारण हुई फसल क्षति का आकलन तक नहीं कर रही है. भाजपा नेता ने आगे कहा कि हालांकि किसान आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, लेकिन वे हमेशा सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण पीड़ित होते हैं.