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पीएम मोदी ने कहा-आज त्रिपुरा और पूरा पूर्वोत्तर बदलाव का गवाह बन रहा है

पीएम मोदी ने कहा-अब त्रिपुरा को गरीब बनाए रखने वाली, त्रिपुरा के लोगों को सुख-सुविधाओं से दूर रखने वाली सोच की त्रिपुरा में कोई जगह नहीं है.

Updated on: 14 Nov 2021, 04:58 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) की पहली किस्त त्रिपुरा के 1.47 लाख से अधिक लाभार्थियों को हस्तांतरित की. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए त्रिपुरा के 1.47 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) की पहली किस्त ट्रांसफर की. लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की गई. इस कार्यक्रम में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब भी शामिल रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, "आज हमारा त्रिपुरा और समूचा पूर्वोत्तर बदलाव का साक्षी बन रहा है. आज प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी गई पहली किस्त ने त्रिपुरा के सपनों को भी नया हौसला दिया है। मैं पहली किस्त का लाभ पाने वाले लगभग डेढ़ लाख परिवारों और सभी त्रिपुरा-वासियों को हृदय से बधाई देता हूं."

उन्होंने कहा, अब त्रिपुरा को गरीब बनाए रखने वाली, त्रिपुरा के लोगों को सुख-सुविधाओं से दूर रखने वाली सोच की त्रिपुरा में कोई जगह नहीं है. अब यहां डबल इंजन की सरकार पूरी ताकत से, पूरी ईमानदारी से राज्य के विकास में जुटी है.

पीएम मोदी ने कहा, 4-5 साल पहले तक लोग कहते थे कि त्रिपुरा में दशकों से एक ही सिस्टम चल रहा है, यहां बदलाव संभव ही नहीं है. लेकिन जब त्रिपुरा ने बदलाव करने की ठानी तो त्रिपुरा का विकास रोकने वाली पुरानी सोच को पूरी तरह बदल डाला.

पहले देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों से हमारी नदियां तो पूर्व आती थीं लेकिन विकास की गंगा यहां पहुंचने से पहले ही सिमट जाती थी. देश के समग्र विकास को टुकड़ों में और सियासी चश्मे से देखा जाता था, हमारा पूर्वोत्तर खुद को उपेक्षित महसूस करता था. इतने कम समय में सरकारी संस्कृति, काम करने के पुराने तरीकों और पुराने रवैये को बदलने के लिए मैं बिप्लब देब और उनकी सरकार को धन्यवाद देता हूं. जिस युवा ऊर्जा से बिप्लब देब काम कर रहे हैं, वह ऊर्जा आज पूरे त्रिपुरा में देखी जा सकती है. 

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज त्रिपुरा और पूरा पूर्वोत्तर बदलाव का गवाह बन रहा है. त्रिपुरा के सपनों को नया मनोबल मिला है. पहले दिल्ली में बंद दरवाजों के पीछे नीतियां बनाई गईं और फिर इसमें पूर्वोत्तर को फिट करने के असफल प्रयास किए गए. जमीन से यह कटने से अलगाव होता है. इसलिए, पिछले 7 वर्षों में, राष्ट्र ने एक नई मानसिकता, एक नया दृष्टिकोण तय किया है. अब नीतियां क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार बनती हैं, न कि केवल दिल्ली के अनुसार.