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पूर्वोत्तर के प्रवासियों को लाने के लिए भी चलें विशेष ट्रेन, मिजोरम BJP ने की मांग

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले हफ्ते राज्यों को बसों और ट्रेनों के जरिये प्रवासी कामगारों, छात्रों और पर्यटकों को वापस ले जाने की मंजूरी दी थी.

Updated on: 04 May 2020, 10:26 AM

आइजोल:

भाजपा की मिजोरम इकाई ने रविवार को केंद्र से अनुरोध किया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे पूर्वोत्तर के लोगों को वापस लाने की व्यवस्था की जाए. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वनलालमुआका ने कहा कि हमने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से पूर्वोत्तर के फंसे लोगों के लिये विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध किया है, जैसा कि सरकार ने अन्य राज्यों के लिये किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले हफ्ते राज्यों को बसों और ट्रेनों के जरिये प्रवासी कामगारों, छात्रों और पर्यटकों को वापस ले जाने की मंजूरी दी थी. वनलालमुआका ने कहा कि प्रदेश भाजपा के तीन नेताओं को पूर्वोत्तर के लिये विशेष ट्रेनों के इंतजाम की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है.

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दूसरी तरफ प्रवासी मजदूरों की आवाजाही के लिए सरकार ने देशभर में श्रमिक स्‍पेशल ट्रेनें (Shramik Special Trains) चलाई हैं, जिसके किराये को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. केंद्र सरकार ने ट्रेनों को चलाने का खर्च राज्‍य सरकारों से उठाने को कहा है, जबकि बीजेपी शासित राज्‍यों को छोड़कर अन्‍य राज्‍य सरकारों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है. इस बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना की है. उन्‍होंने कहा, कांग्रेस की हर ईकाई मजदूरों के घर जाने के किराये की भरपाई करेगी.

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सोनिया गांधी ने अपने बयान में कहा, श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं. उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए. 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी के लिए मजबूर हो गए. न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन. उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है और न पैसा.