मणिपुर: हिंसा को लेकर NPP का बड़ा बयान, स्थिति में सुधार नहीं होने पर उठाएंगे ये कदम

बीते डेढ़ महीने से मणिपुर जल रहा है. मैतेई और कूकी समुदाय के बीच जारी आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं. हालांकि, राज्य पुलिस के अलावा सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है.

बीते डेढ़ महीने से मणिपुर जल रहा है. मैतेई और कूकी समुदाय के बीच जारी आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालात दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं. हालांकि, राज्य पुलिस के अलावा सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है.

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Prashant Jha
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मणिपुर में हिंसा( Photo Credit : सोशल मीडिया)

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) का बड़ा बयान सामने आया है. एनपीपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जॉयकुमार सिंह ने राज्य में तनावपूर्ण हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर आने वाले दिनों में राज्य की स्थिति नहीं सुधरती है तो हम बीजेपी से अलग होने पर विचार कर सकते हैं. हम मूकदर्शक बनकर कब तक यह सब देखते रहेंगे. राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा की आग तेजी से भड़कती जा रही है. प्रदेश में प्रदर्शनकारी कानून व्यवस्था तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. इंफाल समेत कई शहरों में बीजेपी के दफ्तरों में तोड़फोड़ की गई है. वहीं, कई नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया है. हालांकि, राज्य पुलिस के अलावा सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है.  

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मणिपुर में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इंफाल में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह के घर पर भीड़ ने तोड़फोड़ की. उपद्रवियों ने इसी रात न्यू चेकऑन में भी दो घर फूंक दिए. जिसके बाद सुरक्षाबलों को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. इसके साथ ही भीड़ ने महिला मंत्री नेमचा किपजेन के आधिकारिक आवास पर भी आग लगा दी थी. 

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राज्य में हालात और खराब होंगे- NPP
एनपीपी नेता जॉयकुमार सिंह ने कहा कि मणिपुर में अनुच्छेद 355 लागू है. यहां के लोगों की सुरक्षा और देखरेख करना राज्य के अलावा केंद्र पर है. हिंसक घटनाएं रोकने के लिए केंद्र की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. ऐसे में राज्य हिंसा की आग में जल रहा है. आज केंद्रीय मंत्री के घर को निशाना बनाया गया है. कल सभी विधायकों को बनाया जाएगा, इसके बाद बीजेपी गठबंधन दलों के नेताओं पर हमला किया जाएगा. पिछले दिनों अमित शाह ने भी यहां का दौरा किया था. उसके बाद भी हालात में सुधार नहीं है.. मणिपुर को लेकर सवाल खड़े होने लगे कि आखिर मणिपुर का नियंत्रण कौन कर रहा है. राज्य देख रहा है या केंद्र की जिम्मेदारी है. इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अगर इस उग्र आंदोलन को रोका नहीं गया तो आने वाले समय में इसके परिणाम और भी बुरे होंगे. 

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