भारत-बांग्लादेश रेलवे लाइन को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाली 2023 में शुरू
त्रिपुरा से लगे भारत और बांग्लादेश के बीच बहुप्रतीक्षित नई रेलवे लाइन अगले साल जून में चालू हो जाएगी. अधिकारियों ने यहां सोमवार को बांग्लादेश के रेलमंत्री मोहम्मद नुरुल इस्लाम सुजान के हवाले से यह जानकारी दी. अगरतला (भारत)-अखौरा (बांग्लादेश) 12.24 किलोमीटर लंबी रेलवे परियोजना भारतीय अनुदान से कार्यान्वित की जा रही है. त्रिपुरा सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश के रेलमंत्री ने अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना के बांग्लादेश की तरफ का दौरा किया और मीडिया को बताया कि नई रेलवे परियोजना अगले साल जून तक चालू हो जाएगी.
अगरतला:
त्रिपुरा से लगे भारत और बांग्लादेश के बीच बहुप्रतीक्षित नई रेलवे लाइन अगले साल जून में चालू हो जाएगी. अधिकारियों ने यहां सोमवार को बांग्लादेश के रेलमंत्री मोहम्मद नुरुल इस्लाम सुजान के हवाले से यह जानकारी दी. अगरतला (भारत)-अखौरा (बांग्लादेश) 12.24 किलोमीटर लंबी रेलवे परियोजना भारतीय अनुदान से कार्यान्वित की जा रही है. त्रिपुरा सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश के रेलमंत्री ने अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना के बांग्लादेश की तरफ का दौरा किया और मीडिया को बताया कि नई रेलवे परियोजना अगले साल जून तक चालू हो जाएगी.
अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों के बीच नई रेलवे लाइन दोनों पड़ोसियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. सुजान ने कहा कि नए रेल मार्ग के खुलने से दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ेगा और दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही लोगों की आवाजाही सुगम होगी. मंत्री ने आश्वासन दिया कि लाइन को चालू करने में अब और देरी नहीं होगी, क्योंकि इस मार्ग का अधिकांश काम अब तक पूरा हो चुका है.
12.24 किमी की कुल लंबाई में से 6.78 किमी बांग्लादेश क्षेत्र में पड़ता है और शेष 5.46 किमी भाग त्रिपुरा में है. मालीगांव (गुवाहाटी) मुख्यालय पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) 1,000 करोड़ रुपये की अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना की नोडल एजेंसी है, जिसे जनवरी 2010 में अंतिम रूप दिया गया था, जब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात की थी.
अगरतला में एनएफआर के अधिकारियों ने कहा कि भारत की ओर रेलवे परियोजना का 80 प्रतिशत से अधिक काम पहले ही पूरा हो चुका है. अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना चालू हो जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों, विशेष रूप से त्रिपुरा, असम और मिजोरम के लोग 22 घंटे के यात्रा समय की बचत करके कोलकाता जा सकते हैं. त्रिपुरा और इसके आस-पास के क्षेत्रों के लोग इस समय रेल से गुवाहाटी होते हुए कोलकाता जाते हैं, जिसमें 38 घंटे से ज्यादा समय लगता है.
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