Assam Earthquake: असम में सुबह-सुबह महसूस किए गए भूंकप के झटके, इतनी तीव्रता से कांपी धरती
Assam Earthquake: असम की राजधानी गुवाहाटी में गुरुवार सुबह भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई.
highlights
- असम में सुबह-सुबह कांपी धरती
- 3.5 की तीव्रता से आया गुवाहाटी में भूकंप
- सुबह पौने छह बजे कांपी गुवाहाटी की धरती
नई दिल्ली:
Assam Earthquake: पूर्वोत्तर के राज्य असर में गुरुवार की सुबह भूकंप के झटकों के साथ हुई. जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे तभी 3.5 की तीव्रता से धरती कांपी. भूकंर का पता चलते ही लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, असम की राजधानी गुवाहाटी में गुरुवार सुबह करीब 5.42 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई. भूकंप के लोग बुरी तरह से सहम गए और काफी देर तक घरों से बाहर खड़े रहे. हालांकि अभी तक इस भूकंप से किसी भी तरह के जान या माल के नुकसान की कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
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बता दें कि पिछले कुछ महीनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में कई बार भूकंप के झटके आए हैं. हालांकि, गनीमत ये रही है इन भूकंप से ज्यादा हानि नहीं हुई. इस साल अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप सीरिया और तुर्किए के बॉर्डर पर आया. जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. 6 फरवरी को आए इस भूकंप में 1.5 लाख से ज्यादा लोग घायल हुए और हजारों इमारतें नेस्तनाबूद हो गई. इस भूकंप की वजह से 1.5 मिलियन लोग बेघर हो गए. इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई थी.
An earthquake of magnitude 3.5 on the Richter Scale hit Assam's Guwahati at around 5:42 am today: National Center for Seismology pic.twitter.com/nZTja5kwtl
— ANI (@ANI) December 7, 2023
सितंबर में मोरक्को में मची थी भूकंप से तबाही
इसके अलावा मोरक्को और अफगानिस्तान में सितंबर और अक्टूबर में आए भूकंप के चलते दोनों देशों में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हो गए. मोरक्को में 8 सितंबर की रात 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था. जबकि अफगानिस्तान में 7 और 15 अक्टूबर को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. इसके अलावा पड़ोसी देश नेपाल में पिछले महीने कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
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जानिए क्या है भूकंप आने की वजह?
हमारी पृथ्वी मिट्टी की कई परतों से मिलकर बनी हुई है. धरती की गहराई में मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से खिसकती रहती हैं. इन टेक्टोनिक प्लेट्स को मोटी परत भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक, टेक्टोनिक प्लेट्स हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं. ये प्लेट दोनों तहर से यानी क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रूप में हिलती हैं. इस दौरान कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर चली जाती है. इस दौरान कई बार ये प्लेट्स एक दूसरे से टकरा जाती है. इनके टकराने से पैदा हुई ऊर्जा जब ऊपर की ओर निकलती है तो भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. टेक्टोनिकल प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी की गहराई में होती हैं.
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