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Assam: असम में मूक-बधिर लोगों ने गाया राज्य गान, बनाया नया रिकॉर्ड

Assam: असम में मूक-बधिर लोगों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया. इन लोगों ने असम राज्य गान गाकर ये रिकॉर्ड बनाया.

Updated on: 10 Mar 2024, 04:03 PM

नई दिल्ली:

Assam: असम में मूब-बधिर लोगों ने राज्य गान गाकर नया रिकॉर्ड बना दिया. इस बारे में असम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने एक आधिकारिक बयान में जानकारी दी. जिसमें कहा गया कि टच ऑफ ह्यूमैनिटी-लेट्स बी ह्यूमन (एनजीओ) द्वारा आयोजित असम राज्य गान, "ओ मुर अपुनार डेक्स" का प्रदर्शन करके मूक-बधिर लोगों ने एक रिकॉर्ड बनाया. इसमें कहा गया कि, TANMI, ए टच ऑफ ह्यूमैनिटी-लेट्स बी ह्यूमन (NGO), असम एसोसिएशन ऑफ डेफ, NERIM ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय असम सरकार की पहल ने असम के प्रदर्शन को व्यवस्थित करने का रिकॉर्ड बनाया. बता दें कि असम राज्य गान "ओ मुर अपुनार डेक्स" में 1010 मूक-बधिर व्यक्तियों ने गाकर रिकॉर्ड बना दिया.

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बयान में कहा गया कि यह उल्लेखनीय कार्यक्रम सांकेतिक भाषा सीखने के महत्व को बढ़ावा देने वाले भव्य जागरूकता अभियान का हिस्सा था. इस पहल का आयोजन टच ऑफ ह्यूमैनिटी-लेट्स बी ह्यूमन (एनजीओ) द्वारा किया गया था और इसे बाकी संगठनों से समर्थन मिला. बता दें कि सोमवार को एनईआरआईएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन, जयानगर, खानापारा, गुवाहाटी में एनजीओ की चौथी वर्षगांठ सह स्थापना दिवस का आयोजन किया गया. वहीं हीरक ज्योति बोरा ने असम के मुख्यमंत्री को उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया.

उन्होंने कहा कि, "हम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, असम सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री पीयूष हजारिका को उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं. हम अपने सहयोगियों असम एसोसिएशन ऑफ द डेफ, एनईआरआईएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, बीडीएस- सरकार को भी धन्यवाद देते हैं."

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हीरक ज्योति बोरा ने कहा, "स्कूल ऑफ हियरिंग इंपेयर्ड, दखिन कामरूप डेफ स्कूल को उनके अत्यधिक समर्थन के लिए धन्यवाद, जिसके बिना यह संभव नहीं होता. हम राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और विश्व रिकॉर्ड जैसी आगे की मान्यता के लिए आगे बढ़ेंगे." बोराह ने इस आयोजन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने और बधिर और मूक समुदाय के अधिकारों को सुरक्षित करने पर जोर दिया.

सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देना कार्यक्रम का उद्देश्य

हीरक ज्योति बोरा ने कहा कि, "इस कार्यक्रम का आयोजन सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने और मूक-बधिर समुदाय को वे अधिकार प्रदान करने के लिए असम सरकार के साथ-साथ भारत सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया था, जिनसे वंचित किया जा रहा था."

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