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बाबुल सुप्रियो ने ओवैसी की तुलना जाकिर नाइक से की, कहा- ज्यादा बोले तो..

बतादें राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. वहीं इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को ओवैसी एक ट्वीट जारी कर कहा है कि उन्हें मस्जिद वापस चाहिए.

Updated on: 16 Nov 2019, 05:45 PM

New Delhi:

अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े करने वाले एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी पर पश्चिम बंगाल के केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने हमला बोला है. बाबुल सुप्रियो ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी दूसरे जाकिर नाइक बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर वह आवश्यकता से ज्यादा बोलते हैं, तो हमारे देश में कानून और व्यवस्था है.

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बतादें राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. वहीं इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार को ओवैसी एक ट्वीट जारी कर कहा है कि उन्हें मस्जिद वापस चाहिए. इसके पहले अयोध्या के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ओवैसी ने कहा था कि वह फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट से गलती नहीं हो सकती है. ऐसे माहौल में जब एनएसए चीफ अजीत डोभाल ने बैठक कर साफ-साफ कहा था कि ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए जिससे पाकिस्तान फायदा उठा सके. गौरतलब है कि ओवैसी के पहले वाले बयान को पाकिस्तान की मीडिया ने जमकर उछाला था.

गौरतलब है कि इसके बाद ही मुस्लिम और हिंदू धर्म गुरुओं के साथ बैठक कर एनएसए चीफ अजीत डोभाल ने बयानों में संयम बरतने की अपील की थी. इसके बावजूद कल तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कह रहे तमाम मुस्लिम धर्म गुरुओं ने फैसले पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. भले ही वह जफरयाब जिलानी हों या अरशद मदनी. अब इस कड़ी में ओवैसी ने तो एक कदम आगे बड़ते हुए विवादस्पद और उकसावेपूर्ण बयान ही दे डाला है.

बता दें कि अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए जमीन राम मंदिर के लिए दे है. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 142 से मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए अयोध्या में ही मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था. अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ओवैसी ने सवाल उठाए थे. उन्‍होंने फैसले पर असहमति जाहिर की थी। साथ ही यह भी कहा था कि फैसला मंजूर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी गलती हो सकती है. ओवैसी ने सवाल किया कि अगर मस्जिद नहीं गिरी होती तब भी सुप्रीम कोर्ट क्या यही फैसला करता?