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मुख्यमंत्री तो बन गए उद्धव ठाकरे लेकिन क्या बिना अनुभव के सरकार चला पाएंगे?

उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अब अपना कार्यभार संभाल लिया है, लेकिन इससे पहले उन्होंने कभी कोई प्रशासनिक दायित्व नहीं संभाला है.

Updated on: 01 Dec 2019, 08:29 PM

नई दिल्‍ली:

उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अब अपना कार्यभार संभाल लिया है, लेकिन इससे पहले उन्होंने कभी कोई प्रशासनिक दायित्व नहीं संभाला है. ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या वे महाराष्ट्र के सीएम के तौर पर अपना काम सही ढंग से कर पाएंगे. हालांकि, पिछले कुछ सालों में जिस तरह से उन्होंने शिवसेना का नेतृत्व किया है और जिस तरह से शिव सेना के जरिये बृहन्मुंबई महानगर पालिका को चलाया है. उससे उनके कामकाज करने के तरीका का पता किया जा सकता है.

पिछले कई सालों से शिवसेना ही बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चला रही है. इस वजह से प्रशासन पर उद्धव ठाकरे की पकड़ रही है, लेकिन उनका किसी प्रशासन से सीधा कनेक्शन नहीं रहा है. उन्होंने सिर्फ अपनी पार्टी को चलाया है, लेकिन वे कभी किसी पद पर नहीं रहे. महाराष्ट्र के सीएम बनने से पहले शिवाजी पार्क और मातोश्री का हाल ही उनके लिए खेल का मैदान रहा है.

उद्धव ठाकरे ने इन दोनों खेल के मैदान पर काफी अच्छा किया है, लेकिन इन मैदानों पर बल्ला भी उनका था, गेंद भी उनकी थी और अंपायर भी उनके थे. लेकिन उन्हें अब विधानसभा में बल्लेबाजी करनी होगी, जहां भाजपा के 105 गेंदबाज मौजूद होंगे. इसलिए वे मुख्यमंत्री या प्रशासक के तौर पर किस तरह से काम करेंगे, इसका आकलन लगाना मुश्किल है. उनका अपनी पार्टी पर नियंत्रण हो सकता है, लेकिन उन्होंने कभी बीएमसी के कामकाज में हिस्सा नहीं लिया.

प्रशासनिक स्तर पर किसी भी सीएम को अपनी पकड़ मजबूत रखनी होती है. कांग्रेस, एनसीपी और बीजेपी सबके अपने-अपने प्रतिबद्ध ब्यूरोक्रेट्स या फिर प्रशासनिक अधिकारी हैं, जो खास पार्टी से नजदीकी रखते हैं, लेकिन शिवसेना के साथ ऐसा नहीं है. इसलिए वो नौकरशाहों से नेटवर्क बनाएंगे. आखिर में ये तीन पार्टियों की मिलीजुली सरकार है. ऐसे में उद्धव ठाकरे को राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर आगे आकर यह साबित करना होगा कि सरकार वे ही चला रहे हैं.

उद्धव ठाकरे किसी दूसरे राजनेता की तरह नहीं हैं. कई बार तो वे शिव सैनिक की तरह आक्रामक हो जाते हैं, लेकिन ये उनका स्वभाव नहीं है. ये बात सही है कि उनके पास प्रशासनिक अनुभव नहीं है, लेकिन उनके पास लोग हैं जो उन्हें सलाह देंगे. उन्होंने पहले सरकार नहीं चलाई है, लेकिन उनके पास एक पार्टी को चलाने का अनुभव है, वो पार्टी भी ऐसी है जिसमें विभिन्न विचारधारा के लोग शामिल हैं. इसलिए मुझे लगता है कि वे इसे सफलतापूर्वक कर पाएंगे.