पाकिस्तान के बाद अब तुर्किए को सिखाएंगे सबक, पुणे से हो गई इसकी शुरुआत

पाकिस्तान को सबक सिखाने के बाद अब बारी तुर्किए की है. जिस तरह भारत ने पाकिस्तान से आयात-निर्यात बंद कर उसको बड़ी चोट दी. उसी तरह अब तुर्किए के खिलाफ भी मोर्चा खोला जा रहा है

पाकिस्तान को सबक सिखाने के बाद अब बारी तुर्किए की है. जिस तरह भारत ने पाकिस्तान से आयात-निर्यात बंद कर उसको बड़ी चोट दी. उसी तरह अब तुर्किए के खिलाफ भी मोर्चा खोला जा रहा है

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Dheeraj Sharma
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Bycott Turkish Apple

Boycott Turkish Apples: 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बौखलाए पाकिस्तान को तुर्किए का साथ मिला था. पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों में ड्रोन के जरिए हमला करने की नापाक कोशिश की थी. खास बात यह है कि उसकी ओर से उड़ाए गए ज्यादातर ड्रोन तुर्किए की ओर से दिए गए थे. साफ है तुर्किए ने पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव में पाकिस्तान का साथ दिया. लिहाजा पाकिस्तान को सबक सिखाने के बाद अब बारी तुर्किए की है. जिस तरह भारत ने पाकिस्तान से आयात-निर्यात बंद कर उसको बड़ी चोट दी. उसी तरह अब तुर्किए के खिलाफ भी मोर्चा खोला जा रहा है. हिमचाल प्रदेश से पहले ही तुर्किये से आने वाले सेब के आयात पर रोक की मांग उठी थी. वहीं अब महाराष्ट्र के पुणे से बड़ी खबर सामने आई है. 

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पुणे के सेब कारोबारियों ने उठाया बड़ा कदम

पुणे शहर के सेब कारोबारियों ने तुर्किये से सेब खरीदना पूरी तरह बंद करने का ऐलान किया है. उनका मानना है कि भारत के खिलाफ किसी भी प्रकार के शत्रुतापूर्ण कदम को आर्थिक सहयोग नहीं मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी रूप में हो. पुणे की एपीएमसी मार्केट में सक्रिय सेब व्यापारी सुयोग जेंदे ने बताया कि तुर्किये से अब कोई भी सेब आयात नहीं किया जाएगा. 

उन्होंने कहा, "तुर्किये खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है. जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, तब तुर्किये ने अपने ड्रोन पाकिस्तान को भेजे, जिससे भारतीय इलाकों पर हमले हुए." सुयोग ने यह भी बताया कि इस निर्णय में पुणे के कई खुदरा और थोक व्यापारी शामिल हैं, जिन्होंने एक स्वर में तुर्किये के सेब का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

1200 से 1500 करोड़ रुपये का होता है कारोबार  

पुणे में तुर्किए से आयातित सेब की बिक्री हर साल लगभग तीन महीनों तक होती है और इस दौरान लगभग 1200 से 1500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. इस बड़े व्यापारिक लाभ को दरकिनार कर, व्यापारियों ने राष्ट्रहित को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है. सुयोग जेंदे के अनुसार, “जब तुर्किये में भूकंप आया था, तब भारत ने सबसे पहले वहां सहायता पहुंचाई थी, लेकिन अब वही देश हमारे खिलाफ खड़ा है। ऐसे में हम वहां से सेब खरीदकर उन्हें मुनाफा नहीं दे सकते.”

इस फैसले से न केवल तुर्किए को आर्थिक झटका लग सकता है, बल्कि भारतीय सेब उत्पादकों, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के किसानों को भी बड़ा लाभ मिलेगा. पुणे के व्यापारी अब इन राज्यों से सेब की खरीद बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.

ऑपरेशन सिंदूर से पहले मिली खुफिया जानकारी

'ऑपरेशन सिंदूर' से पहले मिली खुफिया जानकारी के अनुसार, तुर्किए का एक पोत कराची बंदरगाह पहुंचा था, जिसमें तुर्किए निर्मित सोंगर ड्रोन होने की बात सामने आई. बाद में 8 और 9 मई को पाकिस्तान की ओर से भारत के सैन्य ठिकानों और नागरिक क्षेत्रों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए, जिनका भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने सफलतापूर्वक जवाब दिया.

इस पूरे घटनाक्रम के बाद व्यापारिक समुदाय द्वारा तुर्किये का आर्थिक बहिष्कार एक प्रतीकात्मक कदम है, जो यह संदेश देता है कि भारत अब हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर और सजग है- चाहे वह सैन्य हो या व्यापारिक। सेब कारोबारियों की यह पहल देशभर के व्यापारियों के लिए एक मिसाल बन सकती है, जहां व्यापार से ऊपर राष्ट्रहित को रखा गया है.

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