पॉक्सो एक्ट में विवादित फैसला देने वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की जज का कार्यकाल एक साल और बढ़ा
पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत 'विवादित' फैसले देने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) kr अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गणेदीवाला का कार्यकाल एक साल और बढ़ गया है.
highlights
- बॉम्बे हाईकोर्ट की जज पुष्पा गणेदीवाला का कार्यकाल बढ़ा
- गणेदीवाला ने पॉक्सो एक्ट में दिया था विवादित फैसला
- पुष्पा ने अगले एक साल के कार्यकाल के लिए ली शपथ
मुंबई:
पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत 'विवादित' फैसले देने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) kr अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गणेदीवाला का कार्यकाल एक साल और बढ़ गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कॉलेजियम की सिफारिश के अनुसार, जस्टिस पुष्पा गणेदीवाला (Pushpa Ganediwala) के नए कार्यकाल को एक साल और आगे बढ़ाने का फैसला केंद्र द्वारा लिया गया है. शनिवार को जस्टिस पुष्पा गणेदीवाला ने अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर अगले एक साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली. हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर पुष्पा गणेदीवाला का पिछला कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो गया था.
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने पिछले महीने जस्टिस पुष्पा को बॉम्बे हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी. मगर हाल ही में दिए गए विवादित फैसलों के बाद जस्टिस पुष्पा की नियुक्ति के प्रस्ताव के लिए मंजूरी वापस ले ली गई थी. विवाद बढ़ने पर कॉलेजियम ने उनका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की सिफारिश की थी. हालांकि अब केंद्री कानून और न्याय मंत्रालय ने जस्टिस पुष्पा का कार्यकाल केवल एक साल बढ़ाने का फैसला ले लिया है.
इन फैसलों पर हुआ विवाद
उल्लेखनीय है कि जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला ने पोक्सो एक्ट के तहत दो फैसले सुनाए थे, जिस पर जमकर विवाद हुआ था. 19 जनवरी को जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेदीवाला 12 साल की लड़की के साथ हुए यौन अपराध के मामले में फैसला सुना रही थीं. उन्होंने अपने फैसले में ये कहते हुए आरोपी को बरी कर दिया था कि उस मामले में स्किन टू स्किन (त्वचा से त्वचा) कॉन्टेक्ट नहीं हुआ था. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना स्तन छूने को पोक्सो के तहत यौन हमला नहीं कहा जा सकता. बता दें कि जस्टिस पुष्पा द्वारा बरी किए गए आरोपी ने 12 साल की लड़की के स्तन को स्पर्श किया था.
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बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जज जस्टिस गनेदीवाला ने इससे पहले भी एक विवादित फैसला सुनाया था. बीते मामले में जस्टिस पुष्पा ने कहा था कि पॉक्सो एक्ट के तहत पांच साल की बच्ची के हाथ पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना यौन अपराध नहीं है.
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