महाराष्ट्र में सियासी उठापटक तेज हो गई है. बीजेपी के सरकार बनाने से इंकार करने के बाद सबकी निगाहें अब शिवसेना और एनसीपी पर टिकीं हुई हैं. इस बीच शिवसेना अब अपने ही फॉर्मूले में फंसती नजर आ रही है. दरअसल शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस की शर्त मानने के बाद भी अब तक एनसीपी और कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन देने को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एनसीपी और कांग्रेस अब एक दूसरे को इस देरी की वजह बता रहे हैं. एक तरफ जहां एनसीपी का कहना है कि ये देरी कांग्रेस की वजह से हो रही है तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि अब एनसीपी भी 50-50 फॉर्मूले पर शिवसेना के साथ सरकार बनाना चाहती है और इसी को लेकर दोनों पार्टियों के बीच पेंच फंसा हुआ है.
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दरअसल अब तक एनसीपी- कांग्रेस शिवसेना की अलग विचारधारा को लेकर असमंजस में पड़े हुए थे. यही वजह थी कि कांग्रेस-एनसीपी ने शिवसेना के सामने शर्त रखी कि अगर शिवसेना एनडीए से बाहर आएगी तो ही वो शिवसेना को समर्थन के बारे में सोच सकते हैं. इसके बाद केंद्रीय मंत्री और शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया जिससे ये संकेत मिलने लगे कि शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी की शर्त मान ली है और अब महाराष्ट्र में शिवसेना- एनसीपी की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन अब बताया जा रहा है कि एनसीपी भी शिवसेना के साथ 50-50 फॉर्मूले पर सरकार बनाना चाहती है यानी एनसीपी ढाई-ढाई साल के रोटेशनल सीएम पद की मांग कर रही है. वहीं शिवसेना अभी भी आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है.
गौरतलब है कि इससे पहले शिवसेना-बीजेपी के बीच भी सरकार न बनने कारण यही 50-50 फॉर्मूला ही था. शिवसेना 50-50 फॉर्मूले पर सरकार बनाने पर अड़ी हुई थी जबकि बीजेपी इसके लिए राजी नहीं थी. हालांकि बीजेपी ने बाद में शिवसेना को डिप्टी सीएम और अहम मंत्रालय देने की पेशकश की थी लेकिन इसके बावजूद शिवसेना नहीं मानी और अपने स्टैंड पर कायम रही.
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इससे पहले मंगलवार को एनसीपी नेता अजित पवार कांग्रेस पर देरी का आरोप लगाते हुए कहा था कि हमने पूरे दिन कांग्रेस के समर्थन पत्र का इंतजार किया क्योंकि कांग्रेस के बिना हमारे समर्थन का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा, हमारी तरफ से कोई देर नहीं हुई है. हम कांग्रेस और राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और ज्यादा से ज्यादा वक्त मांगने की कोशिश करेंगे