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शिवसेना ने पाक पर किया करारा हमला, 'सामना' में उधेड़ी पाकिस्तान की बखियां

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में पड़ोसी देश पाकिस्तान की खूब बखिया उधेड़ी है. उन्होंने पाक पर हमला करते हुए कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इज्जत की धज्जियां उड़ना कोई नई बात नहीं रह गई है.

Updated on: 09 Oct 2019, 02:41 PM

नई दिल्ली:

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में पड़ोसी देश पाकिस्तान की खूब बखिया उधेड़ी है. उन्होंने पाक पर हमला करते हुए कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इज्जत की धज्जियां उड़ना कोई नई बात नहीं रह गई है. आतंकवादियों को आर्थिक सहायता सहित कई नियम और शर्तों का उल्लंघन करने के कारण पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलनेवाली आर्थिक मदद फिर एक बार अटक गई है.

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शिवसेना ने ये भी बताया कि 'एफएटीएफ' नामक वित्त आपूर्ति की वैश्विक संस्था ने पाकिस्तान पर 40 शर्तें लाद दी थीं. उनमें से पाकिस्तान ने सिर्फ एक शर्त का पालन किया. आतंकवादियों को मिलनेवाली आर्थिक मदद रोकने और उनकी धनापूर्ति के स्रोत संबंधी मामले में पाकिस्तान ने कोई भी कदम नहीं उठाया है, ऐसा ठप्पा एशिया पैसिफिक समूह ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है. यह रिपोर्ट अगले सप्ताह होनेवाली वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) की बैठक के पहले आने से पाकिस्तान को तगड़ा झटका लगा है.

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के पहले ही 'एफएटीएफ' की ग्रे लिस्ट में शामिल पाकिस्तान के लिए आर्थिक मदद के दरवाजे बंद होने की संभावना दिख रही है. एक तरफ कोई भी देश पाकिस्तान को अपने दरवाजे पर खड़ा करने को तैयार नहीं है और दूसरी तरफ वैश्विक मंच पर हर जगह पाकिस्तान के क्रिया-कलापों पर उंगली उठाई जा रही है. वो देश आर्थिक संकट में है, पूरा पाकिस्तान महंगाई की आग में जल रहा है और बेरोजगारी ने कहर बरपाया है. पाकिस्तान की तिजोरी खाली हो चुकी है. विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त हो चुका है. डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपया सौ डॉलर तक गिर चुका है.

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शिवसेना ने ये भी कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस पसोपेश में हैं कि आखिर देश वैâसे चलाया जाए? चारों तरफ विकट परिस्थिति होने के बावजूद वैश्विक स्तर पर भी हर जगह पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ रही है. पाकिस्तानी शासक और पर्दे के पीछे काम कर रही उनकी सेना को अब इंटरनेशनल बेइज्जती की आदत पड़ चुकी है.

उन्होनें कहा कि मुद्दा पाकिस्तानी जनता का. उनके पाले में तड़पने के सिवा और कुछ नहीं बचा है. कोई भी देश हो लेकिन अगर उस देश के शासक वैश्विक दरबार में हमेशा भीख का कटोरा लेकर खड़े रहेंगे तो ये बात कौन-सी जनता पसंद करेगी? पाकिस्तान की जनता कई सालों से सिर झुकाकर ये अपमान सह रही है.

शिवसेना ने कहा कि आर्थिक दृष्टि से कंगाल और इस्लामी आतंकवाद के केंद्र के रूप में देखे जाने के कारण हर मोर्चे पर पाकिस्तान की दुनिया भर में थू-थू हो रही है. ऐसे में एशिया पैसिफिक समूह की रिपोर्ट ने उसकी और मटियामेट कर दी है.

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उन्होंने कहा कि आगामी 13 से 14 अक्टूबर के दौरान फ्रांस की राजधानी पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय कार्यदल की बैठक हो रही है. कंगाल और जर्जर हो चुके पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक से बड़ी आर्थिक मदद की आवश्यकता है. भले ही ये मदद कर्ज के रूप में हो लेकिन पाकिस्तान के कटोरे में ये निधि डाली जाए या नहीं, इसका पैâसला उक्त बैठक में होना है.

शिवसेना ने कहा कि इसके पहले गत जून महीने में हुई बैठक में 'एफएटीएफ' ने पाकिस्तान को आतंकवादियों को दी जानेवाली आर्थिक मदद रोकने के बारे में निर्देश दिया था. इसके लिए अक्टूबर, 2019 की डेडलाइन पाकिस्तान को दी गई थी. तब तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था. हालांकि 'एफएटीएफ' द्वारा रखे गए ४० नियमों और शर्तों में से केवल एक की ही पूर्ति पाकिस्तान ने की. आतंकवाद को दी जानेवाली फंडिंग रोकने सहित ३९ सिफारिशों पर पाकिस्तान ने कुछ भी काम नहीं किया.

उन्होंने बताया कि एशिया पैसिफिक समूह के 'म्यूच्यूअल इवेल्यूएशन' नामक 224 पन्नों की रिपोर्ट में पाकिस्तान के नकारेपन का पोस्टमार्टम हो गया, जिससे 'एफएटीएफ' में भी पाकिस्तान की आर्थिक तालाबंदी होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा जाए या काली सूची में डालकर ईरान और उत्तर कोरिया की तरह पाकिस्तान की आर्थिक नाकाबंदी की जाए, इसका निर्णय अब ‘एफएटीएफ’ की बैठक में अपेक्षित है.

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शिवसेना ने कहा कि गरीबी और अन्न से ज्यादा परमाणु बम और शस्त्रास्त्रों पर खर्च करने के कारण ही पाकिस्तान पर 'इंटरनेशनल बेइज्जती' होने की नौबत आन पड़ी है. उद्योग, व्यवसाय शुरू करने की बजाय आतंकवाद के कारखाने शुरू करके पाकिस्तान ने खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है. खून से सने पाकिस्तानी हाथ भीख के लिए उठ रहे हैं. क्या विश्व को पाकिस्तानियों पर दया दिखानी चाहिए?