महाराष्ट्र : शिवसेना ने 1% स्टांप ड्यूटी बढ़ाने का किया विरोध, कहा- सरकार की तिजोरी बढ़ेगी
सामना ने लिखा है कि इस बढ़ोतरी के कारण सरकार की तिजोरी में सालाना कुछ हजार करोड़ रुपए जरूर बढ़ेंगे, लेकिन आम आदमी पर उससे पड़ने वाले आर्थिक बोझ का क्या?
मुंबई:
शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्टांप ड्यूटी पर 1 फीसदी बढ़ोतरी करने पर तंस कसते हुए कहा है कि पहले ही नोटबंदी ने गृहनिर्माण व्यवसाय को चौपट कर दिया था, अब जीएसटी और गृह कर्ज की ब्याज दरों में वृद्धि के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था और नकदी की कमी का खामियाजा भी इस क्षेत्र को उठाना पड़ रहा है. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि इस मंदी की लहर से अभी यह क्षेत्र संभला नहीं है. हजारों मकान आज भी बिक्री की प्रतीक्षा में हैं. ऊपर से मूलभूत सुविधाओं की परियोजना के नाम पर की गई स्टांप ड्यूटी की बढ़ोतरी से इस क्षेत्र को फिर एक बार 'घरघराट' बर्दाश्त करनी पड़ेगी.
अखबार ने लिखा है कि इस बढ़ोतरी के कारण सरकार की तिजोरी में सालाना कुछ हजार करोड़ रुपए जरूर बढ़ेंगे, लेकिन आम आदमी पर उससे पड़ने वाले आर्थिक बोझ का क्या?
सामना ने लिखा है कि मकान खरीदना आम आदमी के लिए 'कठिन' तो हो गया लेकिन उसी मकान का पंजीयन और स्टांप ड्यूटी सरकार के लिए अपनी तिजोरी भरने का आसान सा रास्ता बन गया. मकान लेने वाले मुंबईकरों को दो वर्षों में दूसरी बार शुल्क वृद्धि बर्दाश्त करनी पड़ रही है.
अब एक लाख करोड़ की बजट वाली 'बुलेट ट्रेन' के लिए भविष्य में तीसरी बार शुल्क वृद्धि बर्दाश्त नहीं करनी पड़ेगी, इसका क्या भरोसा है? स्टांप ड्यूटी में बढ़ोतरी सिर्फ मुंबईकरों के लिए ही नहीं बल्कि गृहनिर्माण से जुड़े व्यवसायियों के लिए भी एक तरह की लटकती हुई तलवार बन गई है.
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संपादकीय में कहा है कि मुंबई के मकान और उसे खरीदने का आम आदमी का सपना महंगा होनेवाला है. पहले से ही मुंबई सहित ठाणे, कल्याण, डोंबिवली, अंबरनाथ, वसई, नालासोपारा, विरार इन स्थानों पर मकान लेना आम आदमी के लिए मुश्किल था. स्टांप ड्यूटी में वृद्धि के कारण यह मुश्किल और भी बढ़ जाएगी.
शिवसेना ने लिखा है कि विकास का मतलब क्या है? 'जनता के पैसे से जनता के लिए सरकार द्वारा किया गया विकास कार्य' मतलब विकास है. मतलब पैसा जनता का और श्रेय सत्ताधारियों का, ऐसा हमेशा चलता रहता है. अब मुंबई सहित एमएमआरडीए क्षेत्र में मेट्रो, मोनो, बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम, पूर्व मुक्त मार्ग जैसे अनेक विकास की परियोजनाएं चल रही हैं.
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ये सारी परियोजनाएं मुंबई तथा एमएमआरडीए क्षेत्र में जारी हैं और उसका कुल अनुमानित खर्च करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए है. इस खर्च का गणित हल करने के लिए ही मुंबईकरों पर एक प्रतिशत मुद्रांक शुल्क वृद्धि का बोझ डाला गया है. इन परियोजनाओं के कारण मुंबईकरों की यातायात और अन्य परेशानियां कुछ हद तक निश्चित ही कम होंगी. मगर उसके लिए एक प्रतिशत वृद्धि सहित स्टांप ड्यूटी का 'हिस्सा' मुंबईकरों को उठाना पड़ेगा. मतलब मुंबई में घर लेने के लिए मुंबईकरों को अब अधिक पैसा चुकाना होगा.
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