शिवसेना ने कंगना से कहा, मुंबई को गाली देना 'मुबारक हो!'

मुखपत्र में लिखा गया, यह वह भूमि है, जहां छत्रपति साहू महाराज, महात्मा ज्योतिराव फुले और भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था और यहां असमानताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी.

मुखपत्र में लिखा गया, यह वह भूमि है, जहां छत्रपति साहू महाराज, महात्मा ज्योतिराव फुले और भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था और यहां असमानताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी.

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Ravindra Singh
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कंगना रनौत( Photo Credit : आईएएनएस)

मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से करने पर शिवसेना ने एक बार फिर से नाम लिए बिना बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत पर निशाना साधा है. शिवसेना ने कंगना पर चुटकी लेते हुए इशारों-इशारों में हमला बोलते हुए कहा, मुंबई पाक अधिकृत कश्मीर है कि नहीं, यह विवाद जिसने पैदा किया, उसी को मुबारक. वाणिज्यिक राजधानी के हिस्से में अक्सर यह विवाद आता रहता है.

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पार्टी के मुखपत्र सामना और दोपहर का सामना में लिखे गए संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि सवाल सिर्फ इतना है कि कौरव जब दरबार में द्रौपदी का चीरहरण कर रहे थे, उस समय सारे पांडव अपना सिर झुकाए बैठे थे. अब हम इसी तरह का परिदृश्य देख रहे हैं. अपने मुखपत्र में शिवसेना ने कहा, हालांकि यह सर्वविदित है कि मुंबई 'राष्ट्रीय अखंडता' का प्रतीक है, फिर 'विवाद-माफिया' की ओर से हमेशा राष्ट्रीय एकता का ये तुनतुना मुंबई-महाराष्ट्र के बारे में ही क्यों बजाया जाता है? राष्ट्रीय एकता की ये बात अन्य राज्यों के बारे में क्यों लागू नहीं होती? 

मुखपत्र में लिखा गया, यह वह भूमि है, जहां छत्रपति साहू महाराज, महात्मा ज्योतिराव फुले और भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था और यहां असमानताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई थी. श्रद्धेय स्वतंत्रता सेनानी सुदुरंग बापट ने कहा था, महाराष्ट्र में ही राष्ट्र है और महाराष्ट्र मरा तो राष्ट्र मरेगा. फिल्मी सितारों का नाम लेकर शिवसेना ने लिखा, मुंबई का फिल्म उद्योग आज लाखों लोगों को रोजी-रोटी दे रहा है. वैसे कभी मराठी और कभी पंजाबी लोगों की ही चलती थी. लेकिन मधुबाला, मीना कुमारी, दिलीप कुमार और संजय खान जैसे दिग्गज मुसलमान कलाकारों ने पर्दे पर अपना 'हिंदू' नाम ही रखा, क्योंकि उस समय यहां धर्म नहीं घुसा था.

कला और अभिनय के सिक्के बजाए जा रहे थे. परिवारवाद का वर्चस्व आज भी है और पहले भी था. कपूर, रोशन, दत्त, शांताराम जैसे खानदान से अगली पीढ़ी आगे आई है, लेकिन जिन लोगों ने अच्छा काम किया, वे टिके. मुंबई ने हमेशा केवल गुणवत्ता का गौरव किया. राजेश खन्ना किसी घराने के नहीं थे. जितेंद्र और धर्मेंद्र भी नहीं थे. इनमें से हर किसी ने मुंबई को अपनी कर्मभूमि माना. मुंबई को बनाने और संवारने में योगदान दिया. पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया या खुद कांच के घर में रहकर दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका. जिन्होंने फेंका उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र का श्राप लगा.

सामना में लिखा गया कि मुंबई और महाराष्ट्र दोनों गर्व और बलिदान का प्रतिनिधित्व करते हैं. महाराष्ट्र संतों-महात्माओं और क्रांतिकारियों की भूमि है. औरंगजेब की कब्र संभाजीनगर में और प्रतापगढ़ में अफजल खान की कब्र सम्मानपूर्वक बनाने वाला यह विशाल हृदय वाला महाराष्ट्र ही है. शिवसेना ने एक चेतावनी के साथ समापन करते हुए कहा, "इस विशाल हृदयवाले महाराष्ट्र के हाथ में छत्रपति शिवाजी महाराज ने भवानी तलवार दी. बालासाहेब ठाकरे ने दूसरे हाथ में स्वाभिमान की चिंगारी रखी. अगर किसी को ऐसा लग रहा होगा कि उस चिंगारी पर राख जम गई है तो वह एक बार फूंक मारकर देख ले!

Source : News Nation Bureau

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