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किसान आंदोलन पर शरद पवार ने जताई चिंता, कहा- जल्द समाधान नहीं हुआ तो....

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि अगर जल्द से जल्द समाधान नहीं हुआ तो देशभर के किसान पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ आंदोलन में शामिल हो जाएंगे.

Updated on: 06 Dec 2020, 03:55 PM

नई दिल्ली:

कृषि कानूनों के खिलाफ देश के हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलन का आज 11वां दिन है. किसान अपनी मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. सरकार के साथ पांचवें राउंड की भी बैठक बेनतीजा रही. इसके बाद किसानों ने अब 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. किसानों को विपक्ष का साथ मिल रहा है. इस बीच  एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि अगर जल्द से जल्द समाधान नहीं हुआ तो देशभर के किसान पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ आंदोलन में शामिल हो जाएंगे.

बिल को चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए

एनसीपी चीफ ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान गेंहू और धान के मुख्य उत्पादक हैं और वे प्रदर्शन कर रहे हैं. अगर स्थिति का समाधान नहीं किया गया तो जल्द ही देशभर के किसान उनके साथ शामिल हो जाएंगे.1 जब बिल पास किया जा रहा था, हमने सरकार से गुजारिश की थी कि उन्हें जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए.

चर्चा की जरूरत थी

शरद पवार ने कहा कि बिल को चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था और उस पर चर्चा की जरूरत थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बिल पास कर दिया गया. अब सरकार को वही जल्दबाजी भारी पड़ रही है. इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने किसानों के भारत बंद को समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तब तक लड़ाई जारी रखने की जरूरत है.

विपक्ष के झांसे में ना आए सरकार

सरकार की ओर से किसानों को मनाने की हरसंभव कोशिश जारी है. इस कड़ी में अब कृषि राज्‍यमंत्री कैलाश चौधरी ने बड़ा बयान दिया है. उन्‍होंने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा है कि एमएसपी आगे जारी रहेगी, किसानों को किसी के झांसे में आने की जरूरत नहीं है. पीएम मोदी जो कहते हैं वो होता है. एमएसपी के बारे में लिख कर भी दे सकते हैं.

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान का हित

कृषि राज्‍य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग में भी यही सिफारिश की गई है. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान का हित है. ये कानून किसानों के हित में हैं. सरकार ने कहा है कि संशोधन की आवश्यक्ता होगी तो करेंगे. संशोधन की गुंजाइश होगी तो विचार करेंगे. उन्‍होंने कहा कि विपक्ष किसानों को भड़काने का काम कर रहा है. कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. इस बिल के माध्यम से किसानों को आज़ादी मिली है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि खेतों में काम कर असली किसानों को इससे (कृषि कानूनों से) आपत्ति है. किसानों को इस मामले में राजनीतिकरण पर विचार करना चाहिए.