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महाराष्ट्र: शरद पवार ने आनन-फानन में NCP के मंत्रियों की बुलाई बैठक, ये है बड़ी वजह

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने सोमवार को महाराष्ट्र में अपने सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है.

Updated on: 16 Feb 2020, 05:56 PM

नई दिल्‍ली:

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने सोमवार को महाराष्ट्र में अपने सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में एनसीपी के सभी 16 मंत्री शामिल होंगे. हालांकि, आनन-फानन में बुलाई गई इस बैठक की वजह पर पार्टी ने कुछ नहीं बताया है, लेकिन इस मीटिंग को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.

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सूत्रों का कहना है कि भीमा कोरेगांव मामलों की जांच एनआईए को दिए जाने से शरद पवार बेहद नाराज हैं. उनकी नाराजगी महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से भी है, क्योंकि किसी भी मामले की जांच को केंद्रीय एजेंसी को सुपुर्द करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है, लेकिन उद्धव ठाकरे की तरफ से भीमा कोरेगांव दंगों की जांच एनआईए को दिए जाने को लेकर प्रत्यक्ष रूप से कोई विरोध सामने नहीं आया.

बता दें कि शरद पवार ने रविवार को एल्गार परिषद मामले में आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार 'कुछ छुपाना' चाहती थी, इसलिए मामले की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है. माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (SIT) को सौंपे जाने की पहले ही मांग कर चुके शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को जांच एनआईए को सौंपने से पहले राज्य सरकार को भरोसे में लेना चाहिए था.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना 'राष्ट्र विरोधी' गतिविधि है?. पवार ने महाराष्ट्र के जलगांव में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कहा कि यहां ऐसा लगता है कि तत्कालीन फडणवीस सरकार कुछ छुपाना चाहती थी, इसलिए जांच एनआईए को सौंप दी गई. जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी. पवार ने कहा कि एल्गार परिषद मामले की जांच केंद्र के विशेषाधिकार के दायरे में आती है लेकिन उसे राज्य को भी भरोसे में लेना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कोरेगांव-भीमा और एल्गार परिषद पुणे में हिंसा से एक दिन पहले हुए थे और दोनों अलग मामले हैं.

अपने रुख में बदलाव करते हुए हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से उसे कोई एतराज नहीं है. हालांकि, पिछले महीने इस मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआई को सौंपे जाने के कदम की राज्य की शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी नीत सरकार ने निंदा की थी. ये मामला पुणे के शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद संगोष्ठी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस ने दावा किया था कि इन भाषणों के चलते ही अगले दिन जिले के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी. पुलिस ने दावा किया था कि संगोष्ठी के आयोजन को माओवादियों का समर्थन था. जांच के दौरान पुलिस ने वामपंथी झुकाव वाले कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था.