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Saamana: 'शिंदे और 40 उचक्के दिल्ली के गुलाम', शिवसेना कभी न बुझने वाली मशाल

शिवसेना का चुनाव निशान फ्रीज कर दिया गया है. अब चुनाव आयोग दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव निशान देगा, क्योंकि 3 नवंबर को मुंबई की एक सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान होना है. वहीं, चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों ही धड़ों से उनकी पसंद के निशान मांगे हैं...

Updated on: 10 Oct 2022, 08:16 AM

highlights

  • सामना के जरिए शिंदे गुट पर जोरदार प्रहार
  • पीठ में गोली मारने का लगाया आरोप
  • सुपारी लेकर शिवसेना को खत्म करने की कोशिश

मुंबई:

शिवसेना का चुनाव निशान फ्रीज कर दिया गया है. अब चुनाव आयोग दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव निशान देगा, क्योंकि 3 नवंबर को मुंबई की एक सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान होना है. वहीं, चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों ही धड़ों से उनकी पसंद के निशान मांगे हैं. साथ ही पार्टी के लिए नाम भी. ऐसे में शिवसेना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 40 विधायकों पर सामना के जरिए जोरदार प्रहार किया है. सामना में शिंदे को सुपारीबाज और उनके साथियों को 40 उचक्कों तक की संज्ञा दे दी गई है. यही नहीं, औरंगजेब से लेकर अफजाल और पाकिस्तान तक का जिक्र किया गया है. पढ़िए, आज के सामना का संपादकीय...

सामना का संपादकीय...

'महाराष्ट्र पर वज्रपात गिरे और सब कुछ क्षणों में नष्ट हो जाए, ऐसा क्रूर निर्णय चुनाव आयोग ने शिवसेना के मामले में दिया है. गद्दार मिंधे गुट ने आपत्ति जताई इसलिए हिंदूहृदयसम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित की गई शिवसेना का नामोनिशान खत्म करने की अघोरी कोशिश की गई है. चुनाव आयोग ने 'धनुष-बाण' चुनाव चिह्न फ्रीज करने और 'शिवसेना' का नाम स्वतंत्र रूप से उपयोग में लाने पर रोक लगानेवाला अंतरिम आदेश भी जारी किया है. चुनाव आयोग ने ऐसा निर्णय देकर महाराष्ट्र के जीवन में घना अंधेरा ला दिया है.

बालासाहेब ठाकरे ने 56 वर्ष पहले मराठी अस्मिता, मराठी लोगों के न्याय-अधिकार के लिए एक अलख जगाई. हिंदुत्व को योगदान देकर बढ़ाया. आज उस शिवसेना का अस्तित्व खत्म करने के लिए इसी महाराष्ट्र की मिट्टी से एकनाथ शिंदे और उनके 40 उचक्के दिल्ली के गुलाम बन गए हैं. उन्होंने महाराष्ट्र के मामले में सुपारीबाज की भूमिका अपनाई. शिंदे और उनके 40 बेईमानों का नाम महाराष्ट्र के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा. पिछले 56 वर्षों में देश के किसी भी दुष्ट राजनेता से जो नहीं हो सका, वह एकनाथ शिंदे नामक सुपारीबाज ने कर दिखाया. इस काम के लिए दिल्ली ने उस सुपारीबाज का साथ दिया. शिवसेना को ऐसे घाव देकर इन सुपारीबाजों ने महाराष्ट्र को पंगु बना दिया. मराठी लोगों को कमजोर बना दिया और हिंदुत्व को रसातल में ले गए, ऐसा ही कहना होगा.

एक मुख्यमंत्री पद और कुछ मंत्री पद की सौदेबाजी में महाराष्ट्र का स्वाभिमान बेचनेवाली इन औलादों के आगे औरंगजेब का दुष्टपना भी फीका पड़ जाएगा. भारतीय जनता पार्टी इन सबकी सूत्रधार है. शिवसेना को तोड़ने की कोशिश हम ढाई साल से कर रहे थे. एकनाथ शिंदे के कारण आखिर सफलता मिली, ऐसा चंद्रकांत पाटील ने कहा. शिवसेना को जमीन दिखाएंगे, ऐसा अमित शाह कहते थे. शिवसेना रही ही नहीं, ऐसा फडणवीस ने घोषित किया. ये सभी शिवसेना से मैदान में लड़ नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने न्यायालय और चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर शिवसेना की पीठ पर गोली दागी. बिहार की लोकजनशक्ति पार्टी में जब फूट पड़ी थी और उनका विवाद जब चुनाव आयोग के दरबार में पहुंचा, तब इसी तरीके से फैसला दिया गया था. बेशक लोकजनशक्ति पार्टी और शिवसेना में अंतर है. शिवसेना न बुझनेवाली मशाल है. यह जानते हुए भी कुछ सुपारीबाजों को शिवसेना पर हमला करने की सुपारी दिल्ली ने दी. उसी में से कोई एक ठाणे का सुपारीबाज उठा और उस सुपारीबाज के हाथ में भाजपा ने अपनी तलवार दी और शिवसेना पर हमला करवाया. धन और केंद्रीय मशीनरी का उपयोग इस काम के लिए किया गया और चुनाव आयोग ने भी सुपारीबाजों के बाप को जैसा चाहिए था, वैसा फैसला दिया. 

वास्तविक मूल शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की. उस शिवसेना का नेतृत्व संविधान के अनुसार हमारे पास आया. 40 विधायक, 12 सांसद बागी हो गए, लेकिन मूल पार्टी अपनी जगह पर है, लाखों शिवसैनिक पार्टी के सदस्य होते हुए भी चुनाव आयोग ने राजनीतिक नमक हलाली जैसा निर्णय लिया, यह सरासर अन्याय है. एक धधकते विचार को मारने का यह कपटी खेल है. चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए और दबाव में नहीं आना चाहिए. लेकिन यह जायज उम्मीद के विपरीत घट रहा है. 'धनुष-बाण' चिह्न शिवसेना को नहीं मिलेगा, ऐसा शिंदे और उनके सुपारीबाज कह रहे थे.

बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का वजूद न रहे, इसके लिए उन्होंने दिल्ली के मुगलों से हाथ मिलाया. कहां चुकाओगे ये पाप! महाराष्ट्र ने अब तक अनेकों जख्म और आघात सहे हैं. महाराष्ट्र पर हर वार को शिवसेना ने अपनी छाती पर झेला है. हजारों शिवसैनिकों ने इसके लिए बलिदान दिया, रक्त बहाया. इस रक्त और त्याग से खिली शिवसेना को खत्म करने में कोई कामयाब नहीं हुआ, तब एकनाथ शिंदे नामक सुपारीबाज की नियुक्ति उस काम के लिए हुई. तैमूरलंग, चंगेज खान और औरंगजेब की तरह एकनाथ शिंदे और अन्य सुपारीबाजों ने दुष्टता की. एकनाथ शिंदे इन सुपारीबाजों के सरदार हैं. ऐसा दानव हिंदुस्थान के इतिहास में पांच हजार वर्षों में भी नहीं हुआ होगा. चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना के अस्तित्व पर हमला करने का प्रयास करते ही उसने दुष्टकर्मी अफजल खान की तरह दाढ़ी को ताव देते हुए कुटिल मुस्कान भरी होगी. शिवसेना और महाराष्ट्र के बारे में ऐसी दुष्टता करने वाले सुपारीबाजों को नरक में भी जगह नहीं मिलेगी!

महाराष्ट्र के लिए शहीद हुए 105 हुतात्मा, शिवसेना के लिए जान न्योछावर करनेवाले असंख्य त्यागी वीरपुरुष आसमान से इन सुपारीबाजों को श्राप और श्राप ही दे रहे होंगे. चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना पर किए गए 'सुपारीबाज' हमले से शिंदे जितना ही पाकिस्तान भी खुश होगा. महाराष्ट्र का हर दुश्मन खुश होगा. हालांकि खुद का जीवन न्योछावर करके 'शिवसेना' नामक अंगार निर्माण करनेवाले शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे को आज जो वेदना, दुख हो रहा होगा उसका क्या? यह पाप जिसने किया है, वे शिंदे और उनके चालीस सुपारीबाज बालासाहेब ठाकरे के श्राप से हमेशा के लिए मिट्टी में मिल जाएंगे. कोई कितनी भी साजिश-षड्यंत्र रचे, बेईमानी का वार करे फिर भी शिवसेना खत्म नहीं होगी. वह फिर जन्म लेगी, उड़ान भरेगी, उफान लेगी, दुश्मनों की गर्दन दबोच लेगी. चुनाव आयोग ने अब शिवसेना का 'धनुष-बाण' चिह्न फ्रीज किया है और 'शिवसेना' का नाम स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगानेवाला अंतरिम आदेश जारी किया है. दिल्ली ने यह पाप किया. बेईमान सुपारीबाजों ने मां से ही बेईमानी की! हम आखिर में इतना ही कहेंगे, कितना भी संकट आ जाए, उसकी छाती पर पैर रखकर हम खड़े ही रहेंगे!'