मुंबई में कबूतरख़ाना को लेकर बवाल! उद्घाटन के दो दिन बाद ही मचा हंगामा

कबूतरख़ाना शुरू होने के दो दिन बाद ही मंगलवार के दिन शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, उन्होंने कबूतरों के लिए डाले गए दानों को हटाकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया. इसे जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया

कबूतरख़ाना शुरू होने के दो दिन बाद ही मंगलवार के दिन शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, उन्होंने कबूतरों के लिए डाले गए दानों को हटाकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया. इसे जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया

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Pankaj R Mishra
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मुंबई में कबूतरख़ाना Photograph: (social media)

मुंबई के बोरीवली स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क परिसर में बने शहर के पहले डेडिकेटेड कबूतरख़ाने पर विवाद गहराता जा रहा है. दो दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने इसका उद्घाटन किया था. लेकिन अब स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद पुलिस ने यहां कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगा दी है. लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में कबूतरों के जमा होने से सांस संबंधी बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. इस मुद्दे ने शहर में राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है.

शिवसेना (यूबीटी) का विरोध, दाने हटाकर जताया आक्रोश

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कबूतरख़ाना शुरू होने के दो दिन बाद ही मंगलवार के दिन शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने यहां विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कबूतरों के लिए डाले गए दानों को हटाकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया और इसे जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया. पार्टी नेता विनोद घोसलकर ने कहा कि सरकार धार्मिक आस्था के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है. विपक्ष का कहना है कि नए कबूतर खाने के आस पास घनी आबादी रहती है और शहर के बीचोबीच कबूतरों को प्रोत्साहित करना, नागरिकों के स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ खिलवाड़ है.

मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा का तर्क, “धार्मिक आस्था और स्वास्थ्य में संतुलन ज़रूरी”

वहीं रविवार के दिन इस कबूतरखाने के उद्घाटन के बाद मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने अपने बयान में कहा कि कबूतरख़ाना बनाने का उद्देश्य शहरभर में बिखरे कबूतरों को एक नियोजित स्थान उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि कबूतरों को दाना-पानी भी मिले और नागरिकों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे, इसके लिए ऐसे कबूतरख़ाने मानवविहीन इलाकों में बनाए जा रहे हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जंगलों या खुली जगहों में कबूतरख़ाना स्थापित करना ही मध्य मार्ग है. बोरीवली के इस नए कबूतरख़ाने का निर्माण आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर की ओर से कराया गया है.

कोर्ट के आदेश और बीएमसी की कार्रवाई, फिर से उठा विवाद

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही सार्वजनिक स्थलों पर कबूतरख़ाने को लेकर रोक लगा चुका है. अदालत ने साफ कहा था कि सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना डालना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और नगर निगम को इसके खिलाफ कदम उठाना चाहिए. इसी आदेश के बाद बीएमसी ने शहरभर में कबूतरख़ानों पर नियंत्रण के लिए विशेष नियम बनाए थे. अब बोरीवली कबूतरख़ाने के उद्घाटन के बाद फिर से विवाद गहरा गया है और विपक्ष सरकार पर कोर्ट के आदेशों की अनदेखी का आरोप लगा रहा है. इससे यह मामला राजनीतिक टकराव का बड़ा मुद्दा बन गया है.

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