राज्यसभा चुनावः ECI के वोट रद्द करने के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती

चुनाव आयोग ने विधायक कांदे के वोट को अमान्य करार दिया था. भाजपा का आरोप है कि कांदे ने चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन किया है.

चुनाव आयोग ने विधायक कांदे के वोट को अमान्य करार दिया था. भाजपा का आरोप है कि कांदे ने चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन किया है.

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Mohit Saxena
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shiv sena mla challenge eci high court( Photo Credit : ani)

बीते हफ्ते हुए राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha)  में केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) के निर्णय को शिवसेना के विधायक सुहास कांदे ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) में चुनौती दी है. चुनाव आयोग ने इस दौरान विधायक कांदे के वोट को अमान्य करार दिया था. भाजपा का आरोप है कि कांदे ने चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन किया है. इसके बाद आयोग ने इस कदम को उठाया था. अब कांदे ने हाईकोर्ट में दाखिला याचिका के जरिए दावा किया है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था. इसके बावजूद उनका वोट क्यों काटा गया. सुहास कांदे ने वकील अजिंक्य उडाने के माध्यम से हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा उनके वोट को अमान्य घोषित करने के निर्णय से उनकी गरिमा एवं प्रतिष्ठा को धब्बा लगा है. उन्होंने कोर्ट से आयोग का फैसला रद्द करने का अनुरोध किया है. वकील ने कांदे की याचिका का उल्लेख न्यायमूर्ति एस.वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर की खंडपीठ के सामने किया और तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया.

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10 जून को महाराष्ट्र में छह सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव

शिवसेना विधायक कांदे ने अपनी याचिका में दावा किया कि 10 जून को महाराष्ट्र में छह सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान वह चुनावी कक्ष (मुंबई में विधान भवन में) में गए थे और मत देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. इसके बाद नियमानुसार बाहर आए और शिवसेना नेता व सचेतक सुनील प्रभु को मतपत्र दिखाया.

याचिका में कहा गया है कि विधायक योगेश सागर ने आरोप लगाया है कि याचिकाकर्ता ने अन्य राजनीतिक दल के सचेतक को मतपत्र दिखाया जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. याचिकाकर्ता ने अपना मतपत्र केवल सुनील प्रभु को दिखाया था। इसके अलावा उन्होंने इसे किसी अन्य राजनीतिक दल के नेता को नहीं दिखाया. याचिका में कहा गया कि सागर को अगर किसी तरह की आप​त्ति थी तो उसी समय यह जताना चाहिए था, जब कांदे चुनावी कक्ष में थे. 

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की

याचिका में दावा किया गया कि मतदान केंद्र के प्रभारी चुनाव अधिकारी ने अपना निर्णय सुनाया था कि सागर द्वारा लगाए गए आरोप सही नहीं है और कांदे का वोट वैध था. हालांकि, बाद में भाजपा के कई नेताओं ने इसी शिकायत को लेकर निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की. इसके बाद उनके वोट को अमान्य घोषित करा गया. उन्होंने याचिका के जरिए आरोप लगाया ​कि ऐसा करने से पहले कांदे को कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही उनसे जवाब मांगा गया. बिना कोई नोटिस दिए आयोग ने चुनाव अधिकारी द्वारा किए फैसले में हस्तक्षेप करते हुए उनका वोट रद्द कर दिया.

 

HIGHLIGHTS

  • शिवसेना के विधायक सुहास कांदे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है
  • भाजपा का आरोप है कि कांदे ने चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन किया है
  • सुहास कांदे ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था
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