केंद्रीय रक्षा मंक्षी राजनाथ का कहना है कि कुछ लोग औरंगजेब की आज भी तारीफ करते हैं. ये समझ से परे हैं. उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान में तैमूर, औरंगजेब, बाबर, गजनवी और मोहम्मद गौरी की तारीफ हो तो समझ आता है. क्योंकि दोनों की नीति और राजनीति एक जैसी भारत विरोधी रही हैं.
दरअसल, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर के एक कार्यक्रम में पहुंचे. इस दौरान, उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की धरती वीरता और बलिदान की धरती है. इसने छत्रपति शिवाजी जैसे महानायकों को जन्म दिया है. महाराणा प्रताप तो छत्रपति शिवाजी महाराज के भी प्रेरणास्रोत थे. सिंह ने कहा कि जब भी भारत की स्वतंत्रता और संस्कृति पर कोई भी व्यक्ति बुरी नजरें डालता है तो कोई न कोई महापुरुष संकट को दूर करने के लिए धरती पर जन्म लेता है. महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी जैसे शूरवीरों का पूरा जीवन इसी बात को सिद्ध करता है.
प्रताप चाहते तो आराम की जिंदगी जी सकते थे
सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप अपने लिए नहीं लड़ रहे थे. वे चाहते तो अकबर का आधिपत्य स्वीकार करते और चैन से जीवन जीते. लेकिन किसी की गुलामी करना उनके खून में ही नहीं था. इसलिए उन्होंने मुगलिया सल्तनत को चुनौती दी. उन्होंने अपने लाइफ में सिर्फ और सिर्फ शौर्य और पराक्रम का ही प्रदर्शन नहीं किया बल्कि उन्होंने समाज को संगठित करने का भी काम किया.
इस्लाम को लेकर क्या बोले राजनाथ सिंह?
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि हमारे आदर्श कभी भी इस्लाम और मुस्लिम विरोधी बिल्कुल नहीं थे. उन्होंने कहा कि हाकिम खान सूरी ने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना की अध्यक्षता की थी. छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में मुस्लिम समाज के लोग थे.
पंडित नेहरू ने कहा कि हिंदुओं पर जजिया लगाया
उन्होंने कहा कि औरंगजेब का महिमामंडन करना गलत है. पंडित जवाहरलाल नेहरू भी अपनी किताबों में औरंगजेब को कट्टर शासक बता चुके हैं. खुद पंडित नेहरू ने लिखा है कि औरंगजेब ने हिंदुओं पर जजिया कर लगाया था. उसने राजपूतों, मराठों और सिखों जैसे शूरवीरों के समुदायों को दबाने की कोशिश की थी. औरंगजेब ने कितने सारे मंदिर को बर्बाद किया है. ऐसा राजा कैसे किसी व्यक्ति का आदर्श हो सकता है.
सिंह ने महाराष्ट्र में कहा कि मजहब की राजनीति हमने कभी नहीं की. सभी व्यक्ति हमारे लिए समान हैं. शुरू से यही हमारे संस्कार रहे हैं और यही हमारे विचार रहे हैं. हमने यही एक बात अपने पूर्वजों से सीखी है.