Pune News: दूसरी ओर दरगाह ट्रस्ट का कहना है कि यहां कोई सुरंग नहीं मिली है, बल्कि यह सूफी संत मोहम्मद मदनी साहब की करीब 400 साल पुरानी कब्र है.
Pune Dargah: पुणे जिले के मंचर कस्बे में मस्जिद के नीचे सुरंग जैसी संरचना मिलने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. मामला इतना बढ़ा कि पूरे इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी और प्रशासन ने एहतियातन धारा 144 लागू कर दी. फिलहाल पुरातत्व विभाग ने जांच शुरू कर दी है और सभी निर्माण कार्य रोक दिए गए हैं.
हिंदू संगठनों का ये दावा
स्थानीय हिंदू संगठनों का कहना है कि मस्जिद की मरम्मत के दौरान जो ढांचा बाहर आया है, वह कोई कब्र नहीं बल्कि प्राचीन मंदिर का हिस्सा है. संगठनों के अनुसार, सामने के दो खंभे गिरने पर देवलीनुमा संरचना दिखाई दी. उनका दावा है कि यह इलाका सातवाहन काल से जुड़ा हुआ है और पास स्थित प्राचीन कुआं इस दावे को और मजबूत करता है. आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड ने सैकड़ों एकड़ जमीन पर इसी तरह कब्जा किया है.
दरगाह ट्रस्ट का मिला ये जवाब
दूसरी ओर दरगाह ट्रस्ट का कहना है कि यहां कोई सुरंग नहीं मिली है, बल्कि यह सूफी संत मोहम्मद मदनी साहब की करीब 400 साल पुरानी कब्र है. ट्रस्ट के अनुसार, दरगाह की मरम्मत का काम चल रहा था, लेकिन गणपति महोत्सव और बारिश की वजह से काम अधूरा रह गया. इसी दौरान जब पिलर गिरे तो ईंट का कुछ पुराना बांधकाम दिखाई देने लगा, जिसे गलत तरीके से सुरंग बताकर विवाद खड़ा किया जा रहा है.
रात में ढकने के आरोप से बढ़ा तनाव
विवाद तब और गहरा गया जब हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष ने रात में सीमेंट और कंक्रीट के खंभे डालकर ढांचे को ढकने की कोशिश की. इसका विरोध हुआ और प्रशासन ने तत्काल हस्तक्षेप कर काम रुकवा दिया. फिलहाल पुलिस दोनों पक्षों से लगातार बातचीत कर शांति बनाए रखने की कोशिश कर रही है.
प्रशासन और पुरातत्व विभाग की भूमिका
तनाव बढ़ने पर प्रशासन हरकत में आया और एहतियातन सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्षों ने शांति बनाए रखने का भरोसा दिया है और फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. वहीं, पुरातत्व विभाग ने स्थल की वैज्ञानिक जांच शुरू कर दी है, ताकि सच सामने आ सके.
एकता की मिसाल भी रही है यह दरगाह
विवाद के बीच यह तथ्य भी सामने आता है कि मंचर की यह दरगाह वर्षों से हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रही है. यहां परंपरागत रूप से उर्स और मुहर्रम का आयोजन होता आया है, जिसमें दोनों समुदायों के लोग शामिल होते रहे हैं. हालांकि, मौजूदा विवाद ने इलाके का माहौल तनावपूर्ण जरूर बना दिया है.
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