logo-image

6 दिन में महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में नहीं बनी सरकार तो लागू हो जाएगा राष्‍ट्रपति शासन

महाराष्‍ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) का कार्यकाल भी खत्‍म होने वाला है. महाराष्‍ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्‍म हो रहा है. अगर इस बीच में गतिरोध खत्‍म न हुआ तो राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन (President Rule) लागू हो जाएगा.

Updated on: 03 Nov 2019, 11:06 AM

नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बीच सरकार बनाने को लेकर खींचतान जारी है. शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्‍यमंत्री (Chief Minister) पद को लेकर सौदेबाजी कर रही तो बीजेपी इस तरह की किसी भी सौदेबाजी पर मुहर लगाती नहीं दिख रही है. उधर, बीजेपी और शिवसेना दोनों ही दल राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी (NCP) पर डोले डाल रहे हैं, लेकिन एनसीपी (NCP) ने अभी अपने पत्‍ते नहीं खोले हैं. दूसरी ओर, महाराष्‍ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) का कार्यकाल भी खत्‍म होने वाला है. महाराष्‍ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्‍म हो रहा है. अगर इस बीच में गतिरोध खत्‍म न हुआ तो राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन (President Rule) लागू हो जाएगा. इस लिहाज से सरकार बनाने के लिए अब महज 6 दिन ही शेष बचे हैं.

यह भी पढ़ें : महाराष्‍ट्र में सीएम कौन बनेगा, पता नहीं पर शपथ ग्रहण के लिए स्‍टेज बनाने की तैयारियां जोरों पर

इस बीच खबर है कि महाराष्‍ट्र विधान भवन के कैंपस में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां जोरों से चल रही हैं. स्‍टेज बनाए जा रहे हैं. शामियाना और कुर्सियां भी लगाई जा रही हैं. अन्‍य जरूरी इंतजामात भी किए जा रहे हैं. हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि राज्‍य में किसकी सरकार बनेगी और अगला मुख्‍यमंत्री कौन होगा. विधान भवन कैंपस में तैयारियां कराने वाले ठेकेदार का कहना है कि उससे 5 नवंबर तक काम पूरा करने के लिए कहा गया है.

महाराष्‍ट्र में हाल ही में 288 सीटों के लिए संपन्‍न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को 54 सीटें हासिल हुई हैं. बीजेपी और शिवसेना का चुनाव पूर्व गठबंधन होने के नाते बहुमत हासिल है, लेकिन शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद की मांग रख दी है, जो बीजेपी को हजम नहीं हो रहा है. शिवसेना के न मानने की स्‍थिति में बीजेपी एनसीपी पर डोरे डाल रही है, लेकिन एनसीपी ने अभी अपना रुख साफ नहीं किया है. बीजेपी से बात न बनने की स्‍थिति में शिवसेना ने भी एनसीपी से संपर्क साधा है, लेकिन अभी कोई स्‍पष्‍ट रूपरेखा सामने नहीं आ रही है.

यह भी पढ़ें : अयोध्‍या, राफेल, सबरीमाला सहित चार अहम मुद्दों पर 10 दिनों में सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अहम फैसला

इस बीच एनसीपी और कांग्रेस के अंदर से शिवसेना को समर्थन देने की मांग उठी है. एनसीपी नेता नवाब मलिक और कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने अपनी पार्टी के नेताओं से मांग की है कि शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया जाना चाहिए. इन नेताओं का तर्क है कि इससे बीजेपी को सत्‍ता से बाहर रखा जा सकेगा. दूसरी ओर कांग्रेस के अंदर से ही सुशील कुमार शिंदे ने शिवसेना के साथ न जाने के संकेत दिए हैं. इस बीच राज ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की है. कुछ दिनों पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने भी शरद पवार से भेंट की थी.

यह भी पढ़ें : यह 50-50 क्या है, क्या यह नया बिस्किट है? असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी-शिवसेना पर कसा तंज

शिवसेना नहीं मानी तो...
शिवसेना के न मानने की स्‍थिति में बीजेपी पूरी तरह एनसीपी पर आश्रित हो जाएगी, अगर कोई बात बनती है तो. एनसीपी अगर खुलेआम बीजेपी के साथ नहीं आती है तो बीजेपी उसे बाहर से समर्थन देने को कह सकती है. यह भी हो सकता है कि देवेंद्र फडनवीस सरकार के बहुमत साबित करने के समय एनसीपी सदन से वॉक आउट कर जाए. तब भी बीजेपी का काम चल जाएगा. कहा यह जा रहा है कि बीजेपी अंत समय तक शिवसेना को मनाएगी. उसके नहीं मानने की स्‍थिति में ही वह अन्‍य विकल्‍प आजमाएगी. कुछ भी हो, इन सब खींचतान में कांग्रेस को अपने विधायकों को एकजुट रखने की कठिन चुनौती होगी.