PM नरेंद्र मोदी ने लता दीदी के बारे में कही ये 10 बड़ी बातें
मुंबई में पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) को पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार (Lata Deenanath Mangeshkar Award) दिया गया है. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संगीत भावना है, साधना है.
नई दिल्ली:
मुंबई में पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) को पहला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार (Lata Deenanath Mangeshkar Award) दिया गया है. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संगीत भावना है, साधना है. इस बार जब राखी का त्योहार आएगा तो दीदी नहीं होगी. पुरस्कार जब लता दीदी के नाम पर था तो मेरा ये दायित्व था. पीएम मोदी ने लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार देश को समर्पित कर दिया है. ये देश के जन-जन का पुरस्कार है. मनुष्य अपने उम्र से नहीं अपने कार्य से महान होता है. लता दीदी उम्र से भी बड़ी थी और कर्म से भी बड़ी थी. लता दीदी ने संगीत की बड़ी यात्रा तय की.
- पीएम मोदी ने कहा कि संगीत से आपमें वीररस भरता है. संगीत मातृत्व और ममता की अनुभूति करवा सकता है. संगीत आपको राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है. हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत की इस सामर्थ्य को, इस शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है.
- लता दीदी मेरी बड़ी बहन थीं. पीढ़ियों को प्रेम और भावना का उपहार देने वाली लता दीदी की तरफ से हमेशा एक बड़ी बहन जैसा अपार प्रेम मुझे मिला है. इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है.
- कई दशक बाद ये पहला राखी का त्योहार आएगा, जब दीदी नहीं होंगी.
- पुरस्कार जब लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम से हो, तो मेरे लिए उनके अपनत्व और प्यार का ही एक प्रतीक है. मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित करता हूं।
- जिस तरह लता दीदी जन-जन की थीं। उसी तरह से उनके नाम से मुझे दिया गया ये पुरस्कार जन-जन का है.
- लता दीदी ने संगीत में वो स्थान हासिल किया कि लोग उन्हें मां सरस्वती का प्रतिरूप मानते थे. उनकी आवाज ने करीब 80 वर्षों तक संगीत जगत में अपनी छाप छोड़ी थी.
- लता दीदी ने आजादी से पहले से भारत को आवाज दी. इन 75 वर्षों की देश की यात्रा उनके सुरों से जुड़ी रही. इस पुरस्कार से लता जी के पिता जी दीनानाथ मंगेशकर जी का नाम भी जुड़ा है.
- मंगेशकर परिवार का संगीत के लिए जो योगदान रहा है उसके लिए हम सभी देशवासी उनके ऋणी हैं.
- वीर सावरकर ने ये गीत अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए लिखा था. ये साहस, ये देशभक्ति, दीनानाथ जी ने अपने परिवार को विरासत में दी थी.
- लता जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं. उन्होंने देश की 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों गीत गाए. हिंदी हो, मराठी, संस्कृत हो या दूसरी भारतीय भाषाएं, लताजी का स्वर वैसा ही हर भाषा में घुला हुआ है.
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