Advertisment

AQI में गिरावट के साथ मुंबई व पुणे के लोगों को सांस लेने की समस्या

मुंबई, पुणे, औरंगाबाद और नागपुर में सर्दियां शुरू होते ही यहां के लोग दूषित हवा में सांस लेने और प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की आशंका से डरे रहते हैं. राज्य के 12 करोड़ लोगों में से 97.60 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के खतरनाक या अस्वीकार्य स्तर वाले क्षेत्रों में रहते हैं. विश्व बैंक समूह के एक अध्ययन ने राज्य को दुनिया में तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला उप-राष्ट्रीय क्षेत्र के रूप में स्थान दिया है, जबकि ऊर्जा नीति संस्थान शिकागो विश्वविद्यालय ने महाराष्ट्र को भारत में 15 वां सबसे प्रदूषित राज्य माना है.

author-image
IANS
New Update
Mumbai Fog

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

मुंबई, पुणे, औरंगाबाद और नागपुर में सर्दियां शुरू होते ही यहां के लोग दूषित हवा में सांस लेने और प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित होने की आशंका से डरे रहते हैं. राज्य के 12 करोड़ लोगों में से 97.60 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के खतरनाक या अस्वीकार्य स्तर वाले क्षेत्रों में रहते हैं. विश्व बैंक समूह के एक अध्ययन ने राज्य को दुनिया में तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला उप-राष्ट्रीय क्षेत्र के रूप में स्थान दिया है, जबकि ऊर्जा नीति संस्थान शिकागो विश्वविद्यालय ने महाराष्ट्र को भारत में 15 वां सबसे प्रदूषित राज्य माना है.

अमेरिका स्थित स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन ने अगस्त में जारी एक रिपोर्ट में पीएम 2.5 को औसतन 45.1 एमजी/क्यूबिक के साथ मुंबई को दुनिया का 14वां सबसे अधिक प्रदूषित शहर का दर्जा दिया है. 2021 से ग्रीनपीस साउथ एशिया के विश्लेषण ने मुंबई को दुनिया में वायु प्रदूषण के कारण 25 हजार मौतों के साथ मुंबई को दुनिया पांचवां सबसे अधिक प्रदूषित शहर माना है. दिल्ली भारत में सबसे अधिक प्रदूषित महानगर है.

पर्यावरण फाउंडेशन के सीईओ भगवान केसभट ने कहा कि पैसे की कमी न होने के बावजूद बृहन्मुंबई नगर निगम (एमसी) ने हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बहुत कम प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता खराब होने पर चेतावनी तुरंत जारी करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए. क्योंकि वायु प्रदूषण न केवल एक पर्यावरणीय खतरा है, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या भी है.

सतत विकास केंद्र की निदेशक लीना बुद्ध ने कहा कि थर्मल पावर प्लांटों के विस्तार, ऑटोमोबाइल, बायोमास जलने और ठोस कचरे के कुप्रबंधन के कारण कुछ वर्षो से नागपुर में वायु गुणवत्ता गिर रही है. वायु प्रदूषण के लिए बिजली संयंत्र 70 प्रतिशत जिम्मेदार हैं. इनसे निकलने वाली राख से कृषि भूमि की उर्वरता नष्ट हो रही है और उपज 40 प्रतिशत तक कम हो रही है. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अनुसार पीएम 2.5 की प्रतिदिन औसतन 35यूजी/एम3 की वृद्धि के साथ महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ते महानगरीय क्षेत्र प्रदूषण उत्सर्जन रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है कि इसका स्वाभाविक रूप से नागरिकों, समाज, कृषि और अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऊर्जा नीति संस्थान, शिकागो विश्वविद्यालय की वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) की नवीनतम रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पीएम 2.5 के संपर्क में आने से मुंबई में लोगों की औसत आयु 3.7 वर्ष, पुणे में 4.2 वर्ष और पूरे महाराष्ट्र में 4 वर्ष कम हो जाती है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा के अनुमान के मुताबिक वायु प्रदूषण से राज्य को 7,182 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. मुंबई और पुणे में देश के उन क्षेत्रों में शामिल हैं, जहां वायु प्रदूषण सबसे अधिक है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के संदर्भ में मुंबई में अच्छे दिन-बुरे दिनों की संख्या 336/26 (2019), 346/20 (2020), 326/39 (2021) और पुणे में 314/ 25 (2019), 309/07 (2020), 359/06 (2021) रही.

वायु गुणवत्ता सूचकांक के मामले में महाराष्ट्र के दो अन्य प्रमुख शहरों अच्छे व बुरे दिनों की संख्या इस प्रकार रही. नागपुर में - 258/18 (2019), 250/0 (2020), 183/01 (2021); और औरंगाबाद में - 297/04 (2019), 300/0 (2020), 236/02 (2021). राज्य में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए बुद्ध और केसभट जैसे विशेषज्ञ अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण और दक्षता को बढ़ावा देने, बिजली संयंत्रों द्वारा उत्सर्जन को कम करने, सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक / हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने जैसे उपायों का सुझाव देते हैं.

निराशाजनक आंकड़ों के बावजूद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अधिकारियों का कहना है कि कुछ वर्षों में भारत में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है. सीपीसीबी के एक अधिकारी ने कहा कि अधिक बारिश, इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने, सौर ऊर्जा का विकल्प चुनने और हवा के पैटर्न में बदलाव से राज्य में वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. हालांकि एमपीसीबी के अधिकारी राज्य में निगरानी स्टेशनों की कमी को स्वीकार करते हैं.

Source : IANS

mumbai pune air pollution hindi news mumbai news Mahrashtra news AQI
Advertisment
Advertisment
Advertisment