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महाराष्ट्र में OBC राजनीतिक आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी, अब श्रेय लेने की होड़ शुरू

पिछले ढाई साल से भी ज्यादा समय से महाराष्ट्र में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई में नई एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार ने जीत हासिल की है. पिछली उद्धव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस लड़ाई की शुरुआत की थी,

Updated on: 20 Jul 2022, 11:07 PM

मुंबई:

पिछले ढाई साल से भी ज्यादा समय से महाराष्ट्र में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई में नई एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार ने जीत हासिल की है. पिछली उद्धव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस लड़ाई की शुरुआत की थी, जिसमें कई बार सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार को ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को तब तक देने से मना कर दिया था, जब तक सरकार साइंटिफिक डाटा ओबीसी समुदाय का नहीं देती है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के भीतर इस मामले में श्रे.य लेने की होड़ शुरू हो गई है.


महाराष्ट्र के भीतर ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को आज सुप्रीम कोर्ट ने बहाल कर दिया. इतने बड़े राजनीतिक लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट में सफलता मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार के दो प्रमुख नेता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों ने इस पर खुशी जाहिर की है. उनकी नई सरकार को जनता का हितैषी बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि नई सरकार के पांव अच्छे हैं और उसका शगुन ओबीसी आरक्षण की सफलता के तौर पर देखा जा सकता है. मुख्यमंत्री के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा है कि पिछली सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई और हमारी सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीर है, जो लोग आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं थे, वह लोग क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं. इससे बड़ी हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है.

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ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण बहाल किए जाने पर हर पार्टियों ने खुशी जताई है. बीजेपी के ऑफिस के बाहर भी ओबीसी समाज के लोगों ने जश्न मनाया तो एनसीपी के ऑफिस के बाहर भी ओबीसी की समाज के लोगों ने जमकर जश्न मनाया. लेकिन एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने कहा कि ओबीसी आरक्षण पर सफलता के पीछे पिछली महा विकास आघाडी सरकार को ही सारा क्रेडिट जाता है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र के भीतर ओबीसी समाज को और राजनीति में आरक्षण देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया था. इसके बाद आयोग ने जो इम्पीरिकल डाटा तैयार किया था, उस इम्पीरिकल डाटा को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को बहाल कर दिया है.