सरकार बनते ही एनसीपी ने शिवसेना के सामने खड़ी की यह बड़ी मुसीबत
महाराष्ट्र (Maharashtra) में उद्धव ठाकरे (Udhav Thackerey) के नेतृत्व में शिवसेना (Shiv Sena), एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) की सरकार को बने अभी हफ्ते भी नहीं हुए हैं कि मुसीबतें खड़ी होनी शुरू हो गई है.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र (Maharashtra) में उद्धव ठाकरे (Udhav Thackerey) के नेतृत्व में शिवसेना (Shiv Sena), एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) की सरकार को बने अभी हफ्ते भी नहीं हुए हैं कि मुसीबतें खड़ी होनी शुरू हो गई है. पहले एनसीपी में डिप्टी सीएम (Deputy CM) पद को लेकर रार मची, वहीं अब एनसीपी (NCP) के विधायक ने ऐसी मांग सरकार से कर दी है, जिससे मानना उद्धव ठाकरे के लिए आसान नहीं होगा. एनसीपी के विधायक जितेंद्र अवहद (Jitendra Awhad) ने मांग की है कि सरकार भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon Case) में केस वापस ले ले. एनसीपी विधायक ने इस मामले को झूठा भी बताया है.
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एनसीपी विधायक जितेंद्र अवहद ने भीमा कोरेगांव मामले को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा, भीमा कोरेगांव का मामला झूठा है. उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और जयंत पाटिल के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार द्वारा इस केस को वापस लेने की अपील की.
आरे चे आंदोलन करणारे सुटले .... #भिमाकोरेगाव मध्ये खोटे गुन्हे दाखल केले मागच्या सरकारनी
— Dr.Jitendra Awhad (@Awhadspeaks) December 1, 2019
आता ह्या माझ्या सरकारनी ते गुन्हे मागे घ्यावेत @OfficeofUT @Jayant_R_Patil
होय ... हे आपले सरकार ...#MahaVikasAghadi
बता दें कि भीमा कोरेगांव में एक जनवरी को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक आदमी की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. महाराष्ट्र पुलिस तब पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. जांच में उन्हें "शहरी नक्सली" बताते हुए आरोप लगाया गया कि वे "राजीव गांधी-टाइप" हमले में पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे.
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बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर लंबे समय तक राजनीतिक जद्दोजहद का दौर चला था. 24 अक्टूबर को जनादेश आने के बाद से ही सरकार बनाने को लेकर कश्मकश चल रही थी, लेकिन शिवसेना ने खुद के मुख्यमंत्री की मांग को लेकर बीजेपी से किनारा कर लिया. राज्यपाल ने पहले बीजेपी, शिवसेना और फिर एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन तीनों दलों ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया. राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी.
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23 नवंबर को अचानक घटनाक्रम तेजी से बदला. ऐसे समय जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस साथ आने की कोशिश कर रही थीं, देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ले ली. उनके साथ एनसीपी नेता अजित पवार डिप्टी सीएम बन गए, लेकिन बाद में अजित पवार और उनके साथ के विधायकों को शरद पवार अपने पाले में ले जाने में कामयाब रहे और फिर देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनी थी.