महाराष्‍ट्र के चाणक्‍य शरद पवार जानें क्‍यों उद्धव ठाकरे की सरकार पर बरस पड़े

एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने पहली बार महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Govt) की आलोचना की. एल्‍गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने के बाद उन्‍होंने उद्धव ठाकरे सरकार की कड़ी आलोचना की.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने पहली बार महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Govt) की आलोचना की. एल्‍गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने के बाद उन्‍होंने उद्धव ठाकरे सरकार की कड़ी आलोचना की.

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Sunil Mishra
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महाराष्‍ट्र के चाणक्‍य शरद पवार जानें क्‍यों उद्धव ठाकरे की सरकार पर बरस पड़े

महाराष्‍ट्र के चाणक्‍य पवार जानें क्‍यों ठाकरे की सरकार पर बरस पड़े( Photo Credit : File Photo)

एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने पहली बार महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Govt) की आलोचना की. एल्‍गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने के बाद उन्‍होंने उद्धव ठाकरे सरकार की कड़ी आलोचना की. शरद पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'केन्द्र ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपकर ठीक नहीं किया. क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है.' उन्‍होंने यह भी कहा, राज्‍य सरकार ने इसका समर्थन करके ठीक नहीं किया.

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एनसीपी मुखिया शरद पवार महाराष्‍ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार बनाने के सूत्रधार रहे हैं. उनकी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शिवसेना (Shiv sena) के नेतृत्‍व में महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार की सहयोगी है. शरद पवार ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की थी. शिवसेना के साथ सरकार बनने के बाद इसकी संभावना भी प्रबल हो गई थी, लेकिन अचानक शिवसेना ने यू-टर्न ले लिया और पुणे की कोर्ट ने मामला एनआईए को सौंप दिया. यह तब हुआ, जब एनसीपी नेता अनिल देशमुख राज्य के गृहमंत्री हैं.

शुक्रवार को पुणे की कोर्ट ने एल्गार परिषद मामले की सुनवाई करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को ट्रांसफर कर दिया. कोर्ट के आदेश देने से पहले अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसमें मामला हस्तांतरित किए जाने का अनुरोध किया गया है.

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मोदी सरकार ने पिछले माह यह मामला एनआईए को सौंप दिया था. महाराष्‍ट्र की सरकार की ओर से मोदी सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की गई थी. एनआईए ने जनवरी के आखिरी सप्ताह में कोर्ट से यह मामला लेने के लिए अनुरोध किया था. यह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एलगार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है.

Source : News Nation Bureau

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