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अब छात्रों को पढ़ाया जाएगा RSS का इतिहास

ये टॉपिक सैकेंड ईयर के सेमस्टर 4 के तीसरे यूनिट का पहला चैप्टर हैं. इससे पहले इसकी जगह पर छात्रों को 'राईज एन्ड ग्रोथ ऑफ कम्यूनलिज्म' यानि सांप्रदायिकता का उदय और वृद्धि पर चैप्टर पढ़ाया जाता था

Updated on: 10 Jul 2019, 09:42 AM

नई दिल्ली:

देश के इतिहास के साथ-साथ अब छात्रों को आरएसएस का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि बीए सेकेंड ईयर के कोर्स में एक नया चैप्टर शामिल किया गया है जिसका नाम है 'राष्ट्र निर्माण में आरएसएस की भूमिका'.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये टॉपिक सैकेंड ईयर के सेमस्टर 4 के तीसरे यूनिट का पहला चैप्टर हैं. इससे पहले इसकी जगह पर छात्रों को 'राईज एन्ड ग्रोथ ऑफ कम्यूनलिज्म' यानि सांप्रदायिकता का उदय और वृद्धि पर चैप्टर पढ़ाया जाता था. लेकिन जानकारी के मुताबिक अब छात्रों को आरएसएस का इतिहास पढ़ाया जाएगा.

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बता दें, इससे पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जुड़ने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ट्विटर पर एंट्री भी ली थी. पिछले कुछ समय से संघ लोगों से सीधे जुड़ने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में मोहन भागवत का ट्विटर पर एंट्री लेना और अब छात्रों को आरएसएस का इतिहास ढ़ाया जाना इस दिशा में उठाए गए कदम के तौर पर देखा जा सकता है.

वहीं दूसरी तरफ कश्मीर घाटी में वीरान पड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार करने से लेकर हिमालय में शाखाओं का विस्तार कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जम्मू और कश्मीर में अपने पांव पसारता दिख रहा है. विस्तार की योजनाओं के अलावा, आरएसएस का शीर्ष नेतृत्व राज्य में विधानसभा क्षेत्रों के नए परिसीमन का भी समर्थन करता है, जिससे कश्मीर से ज्यादा सीटें मिलने पर बाद में जम्मू क्षेत्र को ज्यादा फायदा होगा.

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नई दिल्ली में आरएसएस के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद से प्रभावित कश्मीर घाटी में कई ऐतिहासिक मंदिर वीरान पड़े हैं और अब हिंदू श्रद्धालुओं के लिए इनका जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार होगा. ऐसे ही एक ऐतिहासिक खीर भवानी देवी के मंदिर में पिछले महीने वार्षिक त्योहार के मौके पर कश्मीरी पंडितों की भारी भीड़ एकत्रित हुई थी. इस अवसर पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर स्थित मंदिर में कश्मीरी पंडितों के रुकने के लिए विशेष इंतजाम करने के निर्देश दिए थे.