महज इतने सालों बाद मुंबई का पूरा इलाका हो जाएगा जलमग्न, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
देश की बहुत बड़ी आबादी भयावह प्राकृतिक आपदा के मुहाने पर खड़ी है. आशंका जताई जा रही है कि करीब 30 साल बाद मुंबई पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा
मुंबई:
आने वाले कुछ सालों के बाद देश के लिए बहुत बडा संकट साबित हो सकता है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई जलमग्न हो जाएगा. यह खुलासा ग्लोबल वार्मिंग की रिपोर्ट में हुई है. देश की बहुत बड़ी आबादी भयावह प्राकृतिक आपदा के मुहाने पर खड़ी है. आशंका जताई जा रही है कि करीब 30 साल बाद मुंबई पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा. अमेरिकी संस्थान क्लाइमेट सेंट्रल की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल-स्तर तेजी से बढ़ेगा. जिसकी वजह से मुंबई का पूरा इलाका पानी में डूब जाएगा. तेज शहरीकरण एवं आर्थिक वृद्धि के चलते मुंबई के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है.
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नासा के शटल राडार टोपोग्राफी मिशन के जरिए हुए अध्ययन से ये नतीजे निकाले गए हैं कि साल 2050 तक समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ जाएगा कि भारत के मुंबई, नवी मुंबई और कोलकाता जैसे महानगर भी सदा के लिए जलमग्न हो सकते हैं.
क्या है ग्लोबल वार्मिंग
ग्लोबल वार्मिंग का मतलब होता है पृथ्वी का तापमान बढ़ जाना. दरअसल पृथ्वी की सतह का औसत तापमान में यह बढ़ोतरी ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव में आने की वजह से होता है. इसे समान्य शब्दों में हम यदि कहें कि ग्लोबल वार्मिंग का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. क्लाइमेंट चेंज होने की वजह से आने वाले दिनों में सूखा, बाढ़ और मौसम का मिजाज बुरी तरह बिगड़ा हुआ दिखेगा.
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ग्लोबल वार्मिंग के कारण
ग्लोबल वार्मिंग की वजह पर्यावरण के जानकारों और वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह तेजी से औद्योगीकरण, शहरों का विकास, जंगलों का तेजी से कम होना है. इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थों के धुंए से होने वाला प्रदूषण और फ्रिज तथा एयरकंडीशनर आदि का बढ़ता प्रयोग भी इसके लिए जिममेदार है.
ग्लोबल वार्मिंग का असर
ग्लोबल वार्मिंग का असर दुनियाभर में दिखन लगा है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं और रेगिस्तान बढ़ते जा रहे हैं. कहीं, समान्य से कम तो कहीं असामान्य बारिश हो रही है. वहीं, कहीं सूखा पड़ रहा है, तो कहीं नमी में कमी नहीं आ रही है.
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ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय
ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के उपाय पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाने के लिए हमें मुख्य रूप से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) गैसों के उत्सर्जन को रोकना होगा. इसके लिए फ्रिज, एयर कंडीशनर और दूसरे कूलिंग मशीनों का इस्तेमाल कम करना होगा.
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