आखिर आजाद मैदान क्यों है ऐतिहासिक, जहां से फडणवीस लेने वाले हैं CM पद की शपथ

Azad Maidan: मुंबई का आजाद मैदान छावनी में तब्दील हो चुका है. यहां गुरुवार यानी 5 दिसम्बर को शाम 5 बजे महायुति गठबंधन की सरकार यहीं शपथ लेगी. लेकिन इस खास मौके पर आजाद मैदान को ही क्यों चुना जाता है आज हम इसपर चर्चा करेंगे.

Azad Maidan: मुंबई का आजाद मैदान छावनी में तब्दील हो चुका है. यहां गुरुवार यानी 5 दिसम्बर को शाम 5 बजे महायुति गठबंधन की सरकार यहीं शपथ लेगी. लेकिन इस खास मौके पर आजाद मैदान को ही क्यों चुना जाता है आज हम इसपर चर्चा करेंगे.

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Yashodhan.Sharma
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Azad Maidan: महाराष्ट्र में कल यानी गुरुवार 5 दिसंबर को नई सरकार बनने जा रही है. प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस 5 दिसंबर को शपथ लेने वाले हैं. वह तीसरी बार इस पद को संभालेंगे. ऐसे में मुंबई का आजाद मैदान छावनी में तब्दील हो चुका है. यहां गुरुवार यानी 5 दिसम्बर को शाम 5 बजे महायुति गठबंधन की सरकार यहीं शपथ लेगी. इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और कई दिग्गज नेता भी शिरकत करेंगे. लेकिन इस खास मौके पर आजाद मैदान को ही क्यों चुना जाता है आज हम इसपर चर्चा करेंगे.

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दरअसल, महाराष्ट्र का आजाद मैदान कई मायनों में ऐतिहासिक है. यह क्रिकेट, राजनीतिक रैलियों और विरोध सभाओं के लिए इतिहास में दर्ज हुआ. इस मैदान ने बंबई को मुंबई में बदलते हुए देखा है. आजादी की जंग का भी गवाह रहा है. महात्मा गांधी की कई महत्वपूर्ण सभाएं भी यहीं हुईं. इसके अलावा आजाद मैदान 1987 के हैरिस शील्ड स्कूल मैच का भी गवाह रहा है, जिसमें सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रन की विशाल साझेदारी की थी, जो रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज हो चुका है.

हिंदू हो या मुस्लिम दोनों का है खास

बता दें कि आजाद मैदान मुंबई में रामलीला का आयोजन होता है. वहीं हर साल सुन्नी वार्षिक इज्तेमा भी इसी मैदान में आयोजित की जाती है. आजाद मैदान के बाहर ही 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को समर्पित अमर जवान ज्योति स्मारक भी स्थित है. 1930 में यही मैदान बम्बई के सविनय अवज्ञा आंदोलन का केंद्र भी रह चुका है.  

महात्मा गांधी से भी है कनेक्शन

जब मई 1930 में महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया, तो शहर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और आज़ाद मैदान सहित कई जगहों पर सामूहिक रैलियां निकाली गईं. 25 जनवरी, 1931 को बापू की रिहाई हुई तो वो शहर की यात्रा पर निकले. भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया. 

यहीं से विलासराव देशमुख ने ली थी शपथ

इतना ही नहीं नवंबर 2004 में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे विलासराव देशमुख ने दूसरी बार आजाद मैदान से ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इस जगह की एक खासियत ये भी है कि इस मैदान के नजदीक तीन प्रतिष्ठित इमारतों छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, एस्प्लेनेड कोर्ट यानी ​​किला कोर्ट और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) का मुख्यालय मौजूद है.

सुन्नी इज्तेमा के लिए लगा था लाखों का जमावड़ा

आजाद मैदान 2018 में नासिक से किसानों के मार्च से लेकर 2021 में आंदोलन जैसे बड़े विरोध प्रदर्शन का भी गवाह रह चुका है. हाल ही में, 29 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच 32वें वार्षिक सुन्नी इज्तेमा में भाग लेने के लिए लाखों लोगों का आजाद मैदान में जमावड़ा लगा था. इसके अलावा इसी मैदान से बड़े पैमाने पर चल रहे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप में बदल गए थे.

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