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मुंबई : सीमा शुल्क धोखाधड़ी मामले में महिला सहित 6 को जेल

यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने ड्यूटी एंटाइटेलमेंट पास बुक (डीईपीबी) योजना के तहत 4.72 करोड़ सीमा शुल्क चोरी मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया है. एक अधिकारी ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी.

Updated on: 27 Mar 2021, 06:50 PM

highlights

  • डीईपीबी योजना के तहत 4.72 करोड़ सीमा शुल्क चोरी मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया है
  • सीबीआई ने 21 सितंबर, 1999 को आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था
  • मेसर्स केएमपी सिंटेक्स प्राइवेट लिमिटेड को भी दोषी पाया गया

मुंबई:

यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने ड्यूटी एंटाइटेलमेंट पास बुक (डीईपीबी) योजना के तहत 4.72 करोड़ सीमा शुल्क चोरी मामले में 6 लोगों को दोषी ठहराया है. एक अधिकारी ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी. जिनलोगों को दोषी ठहराया गया है, उनमें स्नेहलता समदर्शी जयसवाल शामिल हैं, जिन्हें 3 साल की जेल हुई है और साथ ही 3.80 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इसके अलावा रमेश सुरजबक्स सिंह, किरण नरहरि चुलकर, प्रदीप बाबूलाल संघवी, सभी को 2 साल की जेल और 4.50 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है. वहीं सुरेश कुमार जैन को 3 साल की जेल की सजा और 3 लाख का जुर्माना लगाया गया है.

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एक कंपनी, मेसर्स केएमपी सिंटेक्स प्राइवेट लिमिटेड को भी दोषी पाया गया और समान मामले में 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. विशेष न्यायाधीश ने आदेश दिया कि एकमात्र महिला दोषी, स्नेहलदास समदर्शी जायसवाल के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खाते में पड़ी राशि, उसकी सजा में अपील की अवधि समाप्त होने के बाद सरकारी खजाने में जमा होनी चाहिए.

सीबीआई ने 21 सितंबर, 1999 को आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसके बाद एक आरोप-पत्र दाखिल करने के बाद एक शिकायत दर्ज की गई थी. सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि इस धोखाधड़ी से राष्ट्रीय खजाने को 4.72 करोड़ की चपत लगी है.

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इस मामले में एक अन्य आरोपी, सीमा शुल्क विभाग के तत्कालीन मूल्यांकन अधिकारी अभिनव सिंह घटना के बाद से फरार थे और विशेष अदालत द्वारा अपराधी घोषित किया गया था. बाद में, सीबीआई को पता चला कि उसने एक फर्जी डिग्री हासिल कर ली थी और आगरा में एक चिकित्सक के रूप में काम कर रहा था.

काफी प्रयासों के बाद, सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया और सीबीआई ने विशेष अदालत, मुंबई में उनके खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया. जुलाई 2020 में, सिंह को दोषी पाया गया और मामले में 16 महीने के लिए साधारण कारावास और 9 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई.